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- कजरी तीज के दिन...
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। कजरी तीज रक्षाबंधन के तीन दिन बाद और जन्माष्टमी के पांच दिन पहले होती है। इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती की पूजा करने का विधान है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को रखती है। कजरी तीज के दिन अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर माता पार्वती और शिवजी की पूजा करती है। कजरी तीज का काफी अधिक महत्व है। इस दिन कुछ कामों को करने की मनाही होती है। जानिए इन कामों के बारे में।
कजरी तीज का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ- 13 अगस्त की रात 12 बजकर 53 मिनट से शुरू
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 14 अगस्त की रात 10 बजकर 35 मिनट तक
सुकर्मा योग- प्रात:काल से लेकर देर रात 01 बजकर 38 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- 14 अगस्त रात 09 बजकर 56 मिनट से 15 अगस्त को प्रातः: 05 बजकर 50 मिनट तक
कजरी तीज में व्रती न करें ये काम
कजरी तीज के दिन किसी से भी वाद-विवाद करने से बचें और न ही किसी को अपशब्द कहें।
कजरी तीज के दिन क्रोध करने से बचना चाहिए, वरना व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलेगा। इसलिए व्रती को खुद को बिल्कुल शांत रखना चाहिए।
कजरी तीज के दिन हाथों में चूड़ियां जरूर पहनें। क्योंकि ये सुहागिन स्त्री की सोलह श्रृंगार में से एक है।
अगर आपने निर्जला व्रत का संकल्प लिया है, तो पूरा दिन बिना जल के रहें। अगर नहीं रह सकते हैं, तो मां से माफी मांग लें।
सुहागिन महिलाएं कजरी तीज के दिन सफेद या फिर काले रंग के कपड़े न पहनें।
बड़े-बुजुर्गों का बिल्कुल भी अपमान न करें। सुबह उनका चरण स्पर्श करें।