धर्म-अध्यात्म

भीष्‍म अष्‍टमी के दिन त्‍यागे थे पितामह ने प्राण, मिला था इच्‍छानुसार देह त्‍यागने का वरदान

Tulsi Rao
7 Feb 2022 8:53 AM GMT
भीष्‍म अष्‍टमी के दिन त्‍यागे थे पितामह ने प्राण, मिला था इच्‍छानुसार देह त्‍यागने का वरदान
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इस साल कल यानी कि 8 फरवरी 2022 को भीष्‍म अष्‍टमी है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और अनुष्ठान करने से संस्कारी संतान की प्राप्ति होती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महाप्रतापी योद्धा भीष्‍म पितामह को इच्‍छामृत्‍यु का वरदान प्राप्‍त था. महाभारत युद्ध में जब पाण्‍डव अर्जुन ने उन्‍हें बाणों की शैया पर सुला दिया तो भीष्‍म पितामह ने सूर्य के उत्‍तरायण होने का इंतजार किया और माघ महीने की अष्‍टमी तिथि को अपने प्राण त्‍यागे. इसलिए इसे भीष्‍म अष्‍टमी कहा गया. इस साल कल यानी कि 8 फरवरी 2022 को भीष्‍म अष्‍टमी है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और अनुष्ठान करने से संस्कारी संतान की प्राप्ति होती है.

भीष्म अष्टमी 2022 पूजा मुहूर्त
भीष्‍म अष्टमी तिथि का आरंभ 8 फरवरी को सुबह 06:15 बजे से होगा और यह 9 फरवरी की सुबह 08:30 बजे तक रहेगी. इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त 8 फरवरी को सुबह 11:29 बजे से दोपहर 01:42 बजे तक रहेगा.
युधिष्ठिर को दी थीं ये शिक्षा
जब भीष्म पितामह बाणों की शैया पर लेटे हुए थे और उनकी जिंदगी के अंतिम क्षण नजदीक थे, तब भगवान श्रीकृष्‍ण ने पाण्‍डव युधिष्ठिर से कहा कि वे भीष्म पितामह के पास जाकर उनसे धर्म की शिक्षा लें. तब युधिष्ठिर भीष्‍म पितामह के पास गए और उस समय पितामह ने उन्‍हें जो मूल मंत्र दिए उसमें से कुछ आज भी प्रासंगिक हैं.
भीष्‍म पितामह ने युधिष्ठिर से कहा कि हमेशा अपने गुस्से पर काबू करना सीखें. हमेशा दूसरों को क्षमा कर दें क्‍योंकि क्षमा करना सबसे बड़ा गुण है. जो भी काम करें, उसको पूरा जरूर करें. जीवन में धर्म को सर्वोपरि रखें. कड़ी मेहनत करें और अपने शरणागत की रक्षा करें. हमेशा मन में दया का भाव रखें.


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