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धर्म-अध्यात्म
शनिश्चरी अमावस्या पितरों के साथ शनि देव का भी मिलेगा आशीर्वाद
Tara Tandi
7 Oct 2023 1:46 PM GMT
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पितृ पक्ष आरम्भ हो चुके हैं। हिंदू धर्म में श्राद्ध और तर्पण का अलग महत्व है। इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हुआ और 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। इस दौरान सभी अपने पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए पितृ पक्ष के सभी नियमों का पालन करते है। ऐसा कहा जाता है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं। अपने वंशजों के साथ रहकर अन्न व जल ग्रहण करते हैं। पितृपक्ष के दौरान दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। वैसे तो पितृपक्ष की कोई भी तिथि श्राद्ध के लिए शुभ होती है लेकिन अमावस्या तिथि का अपना ही महत्व होता हैं।
अमावस्या की तिथि पर श्राद्ध तर्पण करने से पितृ दोष या कालसर्प दोष जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस बार 14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमवस्या है, शनिवार होने के कारण यह शनिश्चरी अमावस्या मानी जाएगी और इस बार इसी दिन सूर्य ग्रहण का संयोग भी बन रहा है। ऐसे में इस बार शनिश्चरी अमावस्या पर तर्पण और पिंडदान करने से सात पीढ़ी के पूर्वजों तक को मुक्ति मिल सकती है और आपके जीवन में भी शांति व्याप्त होगी। आइए जानते है शनिश्चरी अमावस्या की तिथि तर्पण और स्नान मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में ।
शनिश्चरी अमावस्या की तारीख
सोमवार और शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस बार शनिश्चरी अमावस्या 14 अक्तूबर 2023 को मनाई जाएगी। ये इस साल की आखिरी शनि अमावस्या होगी। खास बात ये है कि इस दिन सर्वपितृ अमावस्या भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है वह इस दिन पिंडदान, पीपल की पूजा की पूजा जरूर करें। इससे शनि के प्रकोप से राहत मिलेगी
शनि अमावस्या 2023 मुहूर्त
इस बार 13 अक्तूबर 2023 को रात 09 बजकर 50 मिनट पर शनि अमावस्या का मुहूर्त है जो अगले दिन 14 अक्तूबर 2023 को रात 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
सुबह का मुहूर्त - सुबह 07.47 - सुबह 0.14
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04.41 - सुबह 05.31
अमृत काल - सुबह 09.51 - सुबह 11.35
शनि
अमावस्या के दिन तर्पण के 3 शुभ मुहूर्त
कुतुप मूहूर्त - प्रातः 11:44 से दोपहर 12:30 तक
रौहिण मूहूर्त -दोपहर 12:30 से 01:16 तक
अपराह्न काल - दोपहर 01:16 बजे से 03:35 बजे तक
शनि अमावस्या पर क्या करें
शनि अमावस्या के दिन सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद आप तांबे के लोटे में पवित्र जल लेकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। बाद में आप मुहूर्त के अनुसार श्राद्ध कर्म करें। इस दिन पीपल के पेड़ का पूजन कर घी का दीपक जरूर जलाएं। फिर पितरों का ध्यान कर पीपल के पेड़ में जल में काले तिल, चीनी, चावल और फूल डालकर अर्पित करें।
शनिदेव - फोटो : अमर उजाला
आपको बता दें शनि अमावस्या के शुभ दिन पर शनि देव को सरसों का तेल और काले तिल अर्पित करें। इसके बाद 108 बाद ऊँ शं शनैश्चराय नमःमंत्र का जाप करें। इससे शनि साढ़े साती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
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