धर्म-अध्यात्म

राम नवमी पर लक्ष्मण जी की इस आरती से मिलेगी सुख-समृद्धि, बनी रहेगी प्रभु की कृपा

Tara Tandi
7 April 2022 5:44 AM GMT
राम नवमी पर लक्ष्मण जी की इस आरती से मिलेगी सुख-समृद्धि, बनी रहेगी प्रभु की कृपा
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राम नवमी पर लक्ष्मण जी की इस आरती से मिलेगी सुख-समृद्धि, बनी रहेगी प्रभु की कृपा

चैत्र माह की शुरुआत हो गई है। इस महीने कई धार्मिक पर्व मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है राम नवमी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र माह की शुरुआत हो गई है। इस महीने कई धार्मिक पर्व मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है राम नवमी। सनातन धर्म में राम नवमी का बहुत ही ज्यादा महत्व है। इसे राम भगवान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पृथ्वी पर सत्य सनातन धर्म की रक्षा के लिए जन्म लेने वाले प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव से जुड़ा ये पावन पर्व इस साल 10 अप्रैल को मनाया जाएगा। राम नवमी चैत्र माह के शुक्लपक्ष की नौवी तिथि को मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने महाराजा दशरथ की ज्येष्ठ पत्नी महारानी कौशल्या के गर्भ से श्रीराम के रूप में सातवां अवतार लिया था। वैसे तो ये पर्व अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्रीराम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में देश भर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस दिन भगवान श्रीराम के साथ उनके छोटे भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का भी जन्मोत्सव होता है। इस अवसर पर प्रभु श्रीराम के भक्त उनकी पूजा-आराधना करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। साथ ही इस अवसर पर रामचरितमानस और रामायण का पाठ किया जाता है।

वैसे तो राम नवमी प्रभु श्रीराम को समर्पित है, लेकिन इस दिन उनके भाई लक्ष्मण की भी पूजा से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। लक्ष्मण जी को शेषनाग का अवतार माना जाता है। लक्ष्मण सदा ही अपना भाई धर्म निभाते रहे और प्रभु श्रीराम की सेवा करते रहे। बड़े भाई राम के साथ लक्ष्मण भी 14 वर्ष के वनवास पर गए थे। संपूर्ण रामायण में आप लक्ष्मण जी की महिमा का वर्णन पढ़ सकते हैं। ऐसे में अगर आप भगवान राम की पूजा के साथ लक्ष्मण जी की भी पूजा करते हैं, तो राम जी के अलावा लक्ष्मण जी की भी कृपा प्राप्त होगी। तो चलिए आज जानते हैं लक्ष्मण जी की आरती के बारे में, जिसे करने से भगवान राम के साथ आपको लक्ष्मण जी की भी कृपा प्राप्त होगी...
लक्ष्मण जी की आरती
आरती लक्ष्मण बालजती की |
असुर संहारन प्राणपति की ||
जगमग ज्योति अवधपुर राजे |
शेषाचल पै आप विराजे ||
घंटा ताल पखावज बाजे |
कोटि देव मुनि आरती साजे ||
किरीट मुकुट कर धनुष विराजे |
तीन लोक जाकी शोभा राजे ||
कंचन थार कपूर सुहाई |
आरती करत सुमित्रा माई ||
आरती कीजे हरी की तैसी |
ध्रुव प्रहलाद विभीषण जैसी ||
प्रेम मगन होय आरती गावै |
बसि वैकुण्ठ बहुरि नहीं आवै ||
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