धर्म-अध्यात्म

मकर संक्रांति पर काले तिल के लड्डू खाते हैं, जाने वजह

Bhumika Sahu
11 Jan 2022 6:55 AM GMT
मकर संक्रांति पर काले तिल के लड्डू खाते हैं, जाने वजह
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मकर संक्रांति पर सदियों से तिल-गुड़ खाने की परंपरा चली आ रही है. इसे खाने के कई फायदे हैं और इसका खास धार्मिक-ज्‍योतिष महत्‍व भी है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सूर्य 30 दिन में राशि बदलते हैं और 6 महीने में उत्‍तरायण-दक्षिणायन होते हैं. जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं उसे मकर संक्रांति के पर्व के तौर पर मनाया जाता है. इसी दिन सूर्य उत्‍तरायण भी होते हैं. इस पर्व को देश के अलग-अलग हिस्‍सों में अलग-अलग नाम और तरीके से मनाते हैं लेकिन कमोबेश हर जगह एक बात कॉमन है. वह है मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ खाना और इसका दान करना.

सदियों से मकर संक्रांति के दिन काले तिल के लड्डू खाने-खिलाने की परंपरा चली आ रही है लेकिन क्‍या कभी सोचा है इसके पीछे की वजह क्‍या है? इस दिन तिल और गुड़ का दान करने का खास महत्‍व भी है. साथ ही इस दिन खिचड़ी भी खाई जाती है.
शनि और सूर्य से है कनेक्‍शन
धर्म और ज्‍योतिष की मानें मकर संक्रांति के पीछे तिल और गुड़ खाने, दान करने का संबंध सूर्य और शनि देव से है. काले तिल का संबंध शनि से और गुड़ का संबंध सूर्य से है. जब मकर संक्रांति के दिन ये दोनों चीजें खाते हैं और दान करते हैं तो इससे शनि और सूर्य दोनों की कृपा होती है. जिंदगी में सफलता पाने के लिए इन दोनों ग्रहों की कृपा बेहद जरूरी है. मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है.
सूर्य ने दिया था शनि को वरदान
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार सूर्य देव ने क्रोध में आकर अपने बेटे शनि देव का घर 'कुंभ' जला दिया था. कुंभ राशि के स्‍वामी शनि हैं और वह उनका घर माना जाता है. जब सूर्य देव ने शनि देव के घर जाकर देखा तो काले तिल के अलावा घर में रखी सारी चीजें जलकर खाक हो गईं थीं. तब शनि देव ने अपने पिता सूर्य का स्‍वागत उसी काले तिल से किया.यह देखकर सूर्य प्रसन्‍न हो गए और उन्‍होंने शनि देव को रहने के लिए एक और घर 'मकर' दिया. साथ ही वरदान दिया कि जब भी सूर्य मकर राशि में आएंगे, वे उनका घर धन-धान्‍य से भर देंगे. साथ ही इस दौरान जो लोग काले तिल और गुड़ सूर्य देव को अर्पित करेंगे, उन्‍हें सूर्य और शनि दोनों की कृपा से जीवन में खूब तरक्‍की मिलेगी.


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