धर्म-अध्यात्म

Bhai Dooj पर अपनी थाली में जरूर रखें ये एक चीज लंबी होगी भाई की उम्र

Tara Tandi
25 Oct 2024 12:08 PM GMT
Bhai Dooj  पर अपनी थाली में जरूर रखें ये एक चीज लंबी होगी भाई की उम्र
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Bhai Dooj राजस्थान न्यूज : भाई-बहन का त्योहार भाई दूज हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाता है, जहां बहन उसे तिलक लगाती है, उसका सम्मान करती है और खाना खिलाती है। एक भाई अपनी बहन को उपहार देता है।
इस प्रकार, त्योहार मनाते समय भाइयों को यम के दर्शन नहीं होते हैं। वे यमराज की दृष्टि से बच जाते हैं, उनकी रक्षा होती है। भाई अकाल मृत्यु से बच गया. इस बार भाई दूज पर 2 शुभ योग भी बन रहे हैं. तिरूपति के ज्योतिषी डाॅ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानिए भाई दूज कब है? भाई दूज का शुभ मुहूर्त क्या है? उस दिन कौन से 2 शुभ योग बन रहे हैं? भाई दूज का क्या महत्व है?
भाई दूज 2024 तिथि
द्रिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 2 नवंबर, शनिवार को रात्रि 8:21 बजे से प्रारंभ हो रही है। यह तिथि रविवार, 3 नवंबर को रात्रि 10:05 बजे समाप्त होगी। भाई दूज यानी यम द्वितीया का त्योहार उदयातिथि के आधार पर मनाया जाएगा।
2 शुभ योग में भाई दूज 2024
3 नवंबर को भाई दूज के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं. उस दिन सौभाग्य योग प्रात:काल से लेकर दिन में 11 बजकर 40 मिनट तक है. उसके बाद से शोभन योग बन रहा है, जो पूरी रात तक है. ये दोनों ही योग शुभ हैं. भाई दूज के शुभ मुहूर्त के समय शोभन योग बना है. उस दिन अनुराधा नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक है.
भाई दूज 2024 शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 04:49 ए एम से 05:42 ए एम तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:39 ए एम से दोपहर 12:23 पी एम तक
अमृत काल: 08:45 पी एम से 10:30 पी एम तक
विजय मुहूर्त: 01:50 पी एम से 02:34 पी एम तक
भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ समय: दोपहर 01:06 पी एम से 03:17 पी एम तक
भाई दूज के दिन भाई को तिलक लगाने के लिए 2 घंटे 11 मिनट का शुभ मुहूर्त है. इस समय में भाइयों को बहन के घर पर पहुंच जाना चाहिए, ताकि वे समय पर विधि विधान से पूरे कार्य कर सकें.
भाई दूज का महत्व
भाई दूज को यम द्वितीया यानि यम की द्वितीया कहा जाता है। यमराज की बहन यमुना ने अपने भाई से शिकायत की कि वह उसके घर नहीं आता है। इस पर यमराज कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना के घर गये, जिससे वह बहुत प्रसन्न हुई। उन्होंने यमराज का सम्मान किया, इसलिए यम भी बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया कि जो भी इस तिथि पर अपनी बहन के घर आएगा, उसे यम का भय नहीं रहेगा। भाई दूज पर बहन अपने भाई की सुख-समृद्धि की कामना करती है।
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