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हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास साल का चौथा महीना है. आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को हलहारिणी अमावस्या या आषाढ़ी अमावस्या (Ashadhi Amavasya) के नाम से जाना जाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास साल का चौथा महीना है. आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को हलहारिणी अमावस्या या आषाढ़ी अमावस्या (Ashadhi Amavasya) के नाम से जाना जाता है. आषाढ़ी अमावस्या को पितरों के निमित्त कार्यों के लिए काफी शुभ माना गया है. माना जाता है कि इस दिन पितरों की शांति के लिए किए गए स्नान-दान और तर्पण से पूर्वज काफी प्रसन्न होते हैं. इससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख समृद्धि आती है. अगर आपके घर में पितृ दोष है या आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है, तो उसके निवारण के लिए भी आषाढ़ी अमावस्या का दिन काफी उत्तम है. इस बार आषाढ़ी अमावस्या 28 जून को पड़ रही है. इस मौके पर जानिए पितरों को तृप्त करने के लिए इस दिन क्या उपाय करने चाहिए.
आषाढ़ी अमावस्या पर पितरों को इस तरह करें प्रसन्न
1. इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. अगर आप किसी नदी के तट पर न जा सकें तो घर में ही जल में गंगा जल डालकर स्नान करें. इसके बाद पितरों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करें. साथ ही पशु पक्षियों को भी भोजन कराएं. इससे आपके पितर बहुत प्रसन्न होते हैं.
2. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें. एक कलश में जल और दूध और मिश्री मिश्रित करके जल पेड़ में अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इससे भी आपको पितरों का आशीष प्राप्त होता है.
3. अगर आपके घर में पितृदोष लगा हुआ है, तो आपको अमावस्या के दिन पीपल का पौधा लगाना चाहिए और इसी सेवा करनी चाहिए. हर अमावस्या पर इस पौधे के नीचे दीपक जलाना चाहिए. इससे पितृ दोष का प्रभाव दूर होता है और आपके जीवन की तमाम समस्याओं का अंत होता है.
4. अमावस्या के दिन किसी ब्राह्मण को घर में बुलाकर उन्हें ससम्मान भोजन कराएं और सामर्थ्य के अनुसार दान देकर विदा करें. इसके अलावा गरीब और जरूरतमंदों को दान दें. इससे भी आपको पितरों का आशीष प्राप्त होता है.
5. पितरों की शांति के लिए आप अमावस्या के दिन रामचरितमानस या गीता का पाठ करें. इसके अलावा पितरों का आशीष प्राप्त करने के लिए उनके मंत्र का जाप करें. मंत्र हैं-
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्. ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि, शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च, नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
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