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धर्म-अध्यात्म
शारदीय नवरात्रि में 9 दिन मां दुर्गा को लगाएं विशेष भोग, जानिए पूजा का विधान
Manish Sahu
7 Oct 2023 1:19 PM GMT
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धर्म अध्यात्म: मां दुर्गा के भक्तों के लिए नवरात्रि के 9 दिन बहुत ही खास होते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से शुरू हो रहे हैं। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा बड़े विधि विधान से होती है। शारदीय नवरात्रि के चलते मां दुर्गा के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए व्रत, पूजन, हवन, पाठ और जाप आदि करते हैं। कहा जाता है कि नवरात्रों में मां दुर्गा अपने भक्तों के घर में प्रवेश करती हैं।
शारदीय नवरात्रि का यह त्योहार अश्विन मास में पड़ता है। इसे लोग बड़े धूम धाम के साथ मनाते हैं। इन दिनों मां दुर्गा के भक्त उनकी प्रतिमा को अपने घर में स्थापित करते हैं और दस दिनों तक उस मूर्ति की पूजा करते हैं। इसके बाद उनकी प्रतिमा को दशहरे के दिन विसर्जित कर देते हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के भक्त गरबा और रामलीलाएं आदि भी प्रस्तुत करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन में मां दुर्गा की मूर्ति के सामने घट स्थापना की जाती है। नवरात्रि के इन 9 दिनों को पूरे नियम के साथ मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और व्रत भी रखा जाता है।
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मां शैलपुत्री
शारदीय नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री का दिन माना जाता है। मां दुर्गा ने हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया था। हिमालय पर्वत की पुत्री होने के कारण इनको शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। माता शैलपुत्री के इस रूप से जीवन में पर्वत के समान धन समृद्धि आती है। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल है और सिर के पीछे आधा चांद है। अगर कोई व्यक्ति माता शैलपुत्री का पूरे मन से ध्यान लगाता है तो उसके जीवन में अच्छे बदलाव होते हैं। माता शैलपुत्री के भक्त उनकी पूजा धन, रोजगार और निरोगी होने के लिए करते हैं। नवरात्रि के इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। सनातन धर्म के लोग पीले रंग को बहुत महत्व देते हैं। कहा जाता है कि पीला रंग जीवन में चमक, उत्साह और खुशियां लाता है। नवरात्रि के इस दिन की पूजा के बाद माता शैलपुत्री के चरणों में गाय के घी का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को निरोगी होने का आशीर्वाद मिलता है।
भोग- घाय के घी का भोग, रंग- पीला, मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैल पुत्री नमः
मां ब्रह्मचारिणी
शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में सिद्धि और सफलता प्राप्त होती है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप माला है। मां ब्रह्मचारिणी प्यार और बलिदान प्रतीक हैं। मां ब्रह्मचारिणी को पूजा के बाद शक्कर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपके घर वालों की उम्र लंबी होगी।
भोग- शक्कर का भोग, रंग- हरा, मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं भ्रामचारिह्य नमः
मां चंद्रघंटा
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है। मां चंद्रघंटा अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करती हैं। यह बुरे कुकर्मों और पापों से मुक्ति भी दिलाती हैं। नवरात्रि के इस दिन भूरे या ग्रे रंग के कपड़े पहनना चाहिए। ऐसे वस्त्र बुराई को नष्ट करते हैं और दृढ़ संकल्प को जगाते हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा से सकारात्मकता महसूस होती है। मां चंद्रघंटा को खीर या दूध से बनी कोई भी मिठाई का भोग लगाकर ब्राह्मणों को खिलाना चाहिए। ऐसा करने से मां चंद्रघंटा आपके सभी दुख दूर करेंगी।
भोग- दूध, मिठाई, खीर का भोग, रंग- भूरा या ग्रे, मंत्र जाप- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चंद्रघंताये नमः
मां कुष्मांडा
मां कुष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। अगर भक्त इस दिन नारंगी रंग के कपड़े पहनकर पूजा करते हैं तो माता प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं। यह रंग खुशी और सकारात्मकता का प्रतीक होता है। मां कुष्मांडा को सिद्धि की देवी कहा जाता है। इनके चेहरे पर सदैव मुस्कान दिखाई देती है। माता कुष्मांडा की पूजा करने से हमारे जीवन के दुख दूर हो जाते हैं। मालपुओं का भोग लगाकर मंदिर में बांटना चाहिए। ऐसा करने से माता खुश होती हैं और हमें बुद्धि देती हैं।
भोग- मालपुओं का भोग, रंग- नारंगी, मंत्र- ओम ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडाये नमः
मां स्कंदमाता
शारदीय नवरात्रि के इस पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मां स्कंदमाता के चार हाथ और तीन आंखें हैं। मां स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं। मां दुर्गा के इस स्वरूप में यह हमें खुशी, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्त कराती हैं। इनकी पूजा के बाद केले का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से हमारा शारीरिक स्वास्थ्य हमेशा स्वस्थ रहता है।
भोग- केले का भोग, रंग- सफेद, मंत्र- ओम ऐं ह्रीं क्लीं स्कंध मताय नमः
मां कात्यायनी
शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। माँ कात्यायनी के चार हाथ हैं और वह अपने हाथों में तलवार लिए हैं। मां कात्यायनी बाघ की सवारी करती हैं। इनकी पूजा करने से बीमारी और भय दूर होते हैं। नवरात्रि के इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। मां कात्यायनी की पूजा के बाद शहद का भोग लगाना चाहिए।
भोग- शहद का भोग, रंग- लाल, मंत्र- ओम ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनि नम:
मां कालरात्रि
शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि का दिन माना जाता है। मां कालरात्रि का यह रूप सबसे अक्रामक है। मां कालरात्रि ने अपना यह रूप दुश्मनों के लिए धारण किया था। मां कालरात्रि की पूजा से जीवन के आर्थिक कष्ट दूर होते हैं और साथ ही नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं। मां कालरात्रि की पूजा के बाद गुड़ का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से अचानक आने वाले संकट दूर हो जाते हैं।
भोग- गुड़ का भोग, रंग- नीला, मंत्र- ओम ऐं ह्रीं क्लीं कल रत्रिय्या नमः
मां महागौरी
नवरात्रि का यह आंठवां दिन मां महागौरी को समर्पित होता है। नवरात्रि के इस दिन पूजा गुलाबी रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। माता महागौरी की पूजा करने से जीवन के सभी दुख, दरिद्रता से मुक्ति मिलती है और इनकी श्रृद्धापूर्वक अर्चना करने से नि:संतानों को संतान सुख मिलता है। यह हमारे जीवन में धन, स्वास्थ्य, नाम और सभी तरह की खुशियों को देती हैं। माता महागौरी के पूजन के बाद नारियल का भोग लगाना चाहिए और नारियल दान भी करने चाहिए।
भोग- नारियल का भोग, रंग- गुलाबी, मंत्र- ओम ऐं ह्रीं क्लीं महा गौरिये नमः
मां सिद्धिदात्री
शारदीय नवरात्रि का यह नौवां और आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। मां सिद्धिदात्री के चार हाथ हैं और यह कमल पर बैठी हैं। माता सिद्धिदात्री के पूजन से हमारे जीवन में सभी सिद्धियां आती हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा से हमारे जीवन के सभी रोग चुटकियों में ठीक हो जाते हैं। नवरात्रि के आखिरी दिन में बैंगनी रंग के कपड़े पहनकर माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन माता सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाने से अनहोनी से छुटकारा मिलता है।
भोग- तिल का भोग, रंग- बैंगनी, मंत्र- ओम ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्रिये नम:
पावन पर्व शारदीय नवरात्रि का महत्व
पितृ पक्ष खत्म होने के बाद शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के यह 9 दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों को समर्पित हैं। इन 9 दिनों में 9 रंग के कपड़े पहनने की भी मान्यता है। इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं।
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