धर्म-अध्यात्म

Nirjala Ekadashi 2022: ज्यादा गर्मी हो तो ऐसे पी सकते हैं निर्जला एकादशी पर जल, जानें विधि

Tulsi Rao
9 Jun 2022 12:59 PM GMT
Nirjala Ekadashi 2022: ज्यादा गर्मी हो तो ऐसे पी सकते हैं निर्जला एकादशी पर जल, जानें विधि
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Nirjala Ekadashi 2022: भीमसेनी निर्जला एकादशी व्रत शुक्रवार को है। इस व्रत को धारण करने से भक्त को मनोवांछित फल प्राप्त होता है। इस व्रत को धारण करने से भीम को दस हजार हाथियों को बल प्राप्त हुआ था। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पाण्डेय ने बताया कि जेष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी व भीमसेनी एकादशी भी कहते है। इस वर्ष इस एकादशी के दिन शुक्रवार को चित्रा नक्षत्र व वरीयान योग है। पूरे साल की 24 एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सर्वोत्तम मानी जाती है।

मान्यता है कि इस व्रत को धारण करके भीमसेन ने दस हजार हाथियों का बल प्राप्त कर दुर्योधन के ऊपर विजय प्राप्त की थी। यह व्रत बाल, वृद्ध व रोगी को नहीं करना चाहिए। ज्यादा गर्मी और व्रत धारण करने से प्राण के संकट में होने पर ॐ नमो नारायणाय... मन्त्र का 12 बार जप करके थाली में जल रखकर घुटने और भुजा को जमीन पर लगाकर पशुवत जल पी लेना चाहिए। इससे व्रत भंग नहीं माना जाता है। दूसरे दिन द्वादशी तिथि शनिवार को रात्रि 11.43 बजे तक है। अतः द्वादशी तिथि शनिवार को पूरे दिन कभी भी पारणा किया जा सकता है।
दशमी युक्त एकादशी को विद्धा कहलाती है व द्वादशी युक्त एकादशी शुद्धा कहलाती है। इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशियों के व्रतों के फल की प्राप्ति आसानी से होती है। यह व्रत ज्येष्ठ मास के दिन बड़े होते है। दूसरे गर्मी की अधिकता के कारण बार -बार प्यास लगती है, क्योकि इस दिन जल नहीं पिया जाता है। इसलिए यह व्रत अत्यधिक श्रम -साध्य होने के साथ कष्ट एवं संयम -साध्य व्रत होती है। जल का पान निषिद्ध होने पर इस व्रत में फलाहार के बाद दूध पीने का विधान है। इस दिन व्रत करने वाले को चाहिए कि वह जल से कलश को भरे। उस पर सफेद वस्त्र से ढक्क कर रखें। उसके ऊपर शर्करा तथा दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दान दें। इस एकादशी का व्रत करके यथा सम्भव अन्न, छतरी, जूता, पंखी तथा फला आदि का दान करना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस दिन निर्जल व्रत करते हुए शेषशयिया रूप में भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन विधि पूर्वक जल कलश का दान करने वालों को वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस प्रकार के दान-भाव में सर्वभूत हिते रताः की भावना चरीतार्थ होती है।


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