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प्रेम का रंग यदि देखना हो तो राधा कृष्ण का रंग सबसे पहले याद आता है.
राधा-कृष्ण के प्रेम का गवाह है वृंदावन का 'निधिवन'
प्रेम का रंग यदि देखना हो तो राधा कृष्ण का रंग सबसे पहले याद आता है. निस्वार्थ प्रेम को समर्पित राधा कृष्ण का प्रेम जीवन में प्यार की अहमियत बताता है. प्रेम को समझने के लिए राधा-कृष्ण के प्रेम को समझना आवश्यक है. प्यार की बात होने पर जीवन में एक स्वच्छंद अनुभूति का आनंद दिखाई देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये प्रेम प्रसंग आज के जमाने की बात नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है,
भले ही वह भगवान ही क्यों न हो. इस प्रेम में कृष्ण और राधा रानी की रासलीला का उल्लेख यदि न किया जाए तो सब कुछ व्यर्थ सा लगता है. इन दोनों रासलीलाओं की कथाएं आज भी वृंदावन की गलियों में कथा की तरह सुनाई जाती हैं. वहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि शाम के समय कृष्ण जी राधा रानी के साथ वन में नृत्य किया करते थे. उन्हें सहारा देने के लिए जंगल के पेड़-पौधे गोपियाँ बनते थे.
निधिवन और राधा कृष्ण प्रेम
माना जाता है कि वृंदावन का निधिवन इस रासलीला का साक्षी रहा है. आज भी शाम की आरती के बाद निधिवन बंद रहता है. लोगों का मानना है कि यहां हर शाम भगवान रासलीला करने आते हैं. पेड़ गोपियां बन जाते हैं और कान्हा और राधा मिलते हैं. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की इस रासलीला को मनुष्य, पशु-पक्षी भी नहीं देख पाते, निधिवन से सब दूर हो जाते हैं, यह भी माना जाता है कि जिसने भी कन्हैया की रासलीला को देखने की कोशिश की, वह बता नहीं पाया.
रासलीला देखने के बाद या तो उनके होश उड़ गए या फिर किसी वजह से उनकी मौत हो गई. निधिवन में कई पेड़-पौधे लगे हैं, जिनमें तुलसी के पौधे जोड़े में हैं. जो कृष्ण और राधा की रास लीला में भाग लेने के लिए गोपियों का रूप धारण करती हैं.
राधा-कृष्ण के बारे में कहा जाता है कि आध्यात्मिक प्रेम की अनुपम मिसाल है भगवान श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम. कृष्ण शरीर हैं और राधा आत्मा हैं. राधा रानी ने कई बार कृष्ण से विवाह करने के लिए कहा लेकिन कृष्ण जी ने राधा रानी को मना कर दिया और कहा कि कोई तो आत्मा से विवाह करता है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दोनों का रिश्ता कितना पवित्र था. निधिवन से संबंधित अनेकों कहानियां हमें मिलती हैं इसके साथ ही भगवान के प्रेम का आशीर्वाद हम सभी को प्राप्त होता है
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Apurva Srivastav
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