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जनता से रिश्ता वेबडेस्क |ज्योतिष में नीलम रत्न को बहुत शक्तिशाली माना गया है. इस रत्न का सम्बन्ध शनि ग्रह से होता है. कहा जाता है कि नीलम में इतनी ताकत होती है कि ये कुछ ही समय में किसी व्यक्ति को रंक से राजा बना सकता है. हालांकि अगर ये कोई ऐसा व्यक्ति पहन ले, जिसे इसकी जरूरत ही न हो, तो ये रत्न अपने अशुभ फल देने लगता है और उस व्यक्ति को बर्बाद कर देता हैं. इसलिए नीलम को किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद उनके निर्देशानुसार ही धारण करें, ताकि इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सके. जानिए किन स्थितियों में नीलम पहनना चाहिए और किनमें नहीं.
ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो नीलम शनि का प्रतिनिधित्व करता है, ऐसे में कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार ही नीलम को पहनने की सलाह दी जाती है. यदि शनि दुर्बल है या नीच भाव में है, व्यक्ति साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि की दशा से गुजर रहा है तो ऐसी स्थिति में विशेषज्ञ शनि के दुष्प्रभावों से बचाने और उसे आपके लिए शुभ फल देने लायक बनाने के लिए नीलम पहनने की सलाह दे सकते हैं. शनि चौथे, पांचवें, दसवें या ग्यारहवें भाव में हो, तो नीलम पहना जा सकता है. लेकिन सिर्फ इस जानकारी के आधार पर नीलम न पहनें. किसी ज्योतिषाचार्य को अपनी कुंडली दिखाने के बाद उनकी सलाह से ही इसे धारण करें.
नीलम के शुभ फल
नीलम रत्न का प्रभाव बहुत जल्द दिखने लगता है. नीलम रत्न का शुभ फल होने पर नौकरी और व्यवसाय में उन्नति होने लगती है. व्यक्ति दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता है. वंश वृद्धि होती है. मान-सम्मान में वृद्धि होती है. सेहत अच्छी होती है. मुकदमे आदि के निपटारे आसानी से होने लगते हैं और स्वास्थ्य बेहतर होता है.
ऐसे हालातों में कभी न पहनें नीलम
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक अगर कुंडली में शनि सही स्थिति में नहीं है, तो भूलकर भी इसे धारण नहीं करना चाहिए. ज्योतिष के अनुसार, शनि-राहु और शनि-मंगल अगर छठवें, आठवें या बारहवें स्थान पर हों, तो इस स्थिति को शुभ नहीं माना जाता. इसके अलावा शनि कुंभ और मकर राशि के स्वामी हैं. यदि इन राशियों की स्थिति ठीक न हो, तो भी नीलम नहीं पहनना चाहिए वर्ना अशुभ परिणाम मिल सकते हैं.
अशुभ होने पर ऐसे होती है बर्बादी
ज्योतिषाचार्य की मानें तो नीलम रत्न को अशुभ स्थिति में पहनने पर व्यक्ति हर तरफ से मुसीबतों का सामना करता है और उसे बर्बाद होते देर नहीं लगती. ऐसी स्थिति में झगड़े, दुश्मनी और वाद विवाद फिजूल में बढ़ता है. हर काम में रुकावटें आने लगती हैं और काम बनते-बनते बिगड़ जाता है. आर्थिक हानि इस कदर होती है कि व्यक्ति बर्बादी की कगार पर आ जाता है. इसके अलावा घर में बीमारियों में धन बुरी तरह व्यय होता है.