धर्म-अध्यात्म

भोजन को लेकर कभी न करें ये गलती, आती है गरीबी

Bhumika Sahu
29 Nov 2021 5:40 AM GMT
भोजन को लेकर कभी न करें ये गलती, आती है गरीबी
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भीष्‍म पितामह ने मृत्‍यु शैया पर रहकर अर्जुन को जो ज्ञान दिया था, उसे भीष्‍म नीति का दर्जा दिया जाता है. उनकी बातें अच्‍छी जिंदगी जीने के लिए बहुत काम की हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कहते हैं महाभारत एक ऐसा ग्रंथ और घटना है जिसमें दुनिया की हर भावना का जिक्र आया है. फिर चाहे वह ईर्ष्‍या हो, अहंकार हो, किसी का बुरा करना हो या धर्म-अधर्म की बात हो. जाहिर है इतने तरह की भावनाओं और उनके नतीजों से सीखने के लिए महाभारत बहुत ही समृद्ध खजाना है. इस 18 दिन के युद्ध के दौरान पितामह भीष्‍म ने अपनी मृत्‍यु शैया से अर्जुन को जो ज्ञान दिए हैं, वो बेहद कीमती हैं और आज भी उतने ही प्रांसगिक हैं. आज उन्‍हीं में से एक बेहद अहम मुद्दे के बारे में जानते हैं.

भोजन के बारे में ये कहती है भीष्‍म नीति
महाभारत के 10वें दिन अर्जुन ने भीष्म के शरीर को वाणों से भेद दिया था और फिर 6 महीने तक पितामह वाणों की शैया पर लेटे रहे थे. दरअसल भीष्‍म पितामह को अपनी इच्‍छा अनुसार मृत्‍यु का वरण करने का वरदान मिला था और इसके लिए उन्‍होंने सूर्य के उत्‍तरायण होने के दिन को चुना था. इस बीच जब अर्जुन पितामह से ज्ञान लेने पहुंचे तो उन्‍होंने भोजन की थाली से जुड़ी अहम बातें बताईं थीं.
ऐसी थाली में कभी न करें भोजन
भीष्‍म पितामह ने कहा है कि कभी भी ऐसी थाली का भोजन नहीं करना चाहिए, जिसमें किसी का पैर लग गया हो. ऐसा भोजन करना गरीबी के दिन दिखाता है. वहीं थाली में बाल निकल आए तो भी उस थाली का भोजन न करें. ऐसा भोजन अशुद्ध हो जाता है और उसे खाने से जिंदगी कई तरह की नकारात्‍मक घटनाओं से घिर जाती है. इसके अलावा जिस थाली को कोई लांघ दे, उसका भी भोजन नहीं करना चाहिए. ऐसा भोजन कूड़े-कचरे जैसा हो जाता है, जो आपको हानि ही पहुंचाएगा.
ऐसा भोजन अमृत समान
भीष्म नीति कहती है कि जिस घर में लोग एक साथ बैठकर प्रेम से भोजन करें वह भोजन अमृत के समान होता है. ऐसा भोजन सकारात्‍मकता देता है, व्‍यक्ति को तनाव मुक्‍त और खुश रखता है. साथ ही सभी परिवारजनों के बीच प्‍यार बढ़ाता है.


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