धर्म-अध्यात्म

आज से नवरात्रि का शुरू, कलश स्थापना में इन बातों का रखें ध्यान

Teja
2 April 2022 9:47 AM GMT
आज से नवरात्रि का शुरू, कलश स्थापना में इन बातों का रखें ध्यान
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आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के मौके पर बड़ी तादाद में मां दुर्गा के भक्त अपने घर पर मंगल घटस्थापना करते हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के मौके पर बड़ी तादाद में मां दुर्गा के भक्त अपने घर पर मंगल घटस्थापना करते हैं। अखंड ज्योति जलाते हैं। नौ दिनों का उपवास रखते हैं। नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना के साथ नौ दिन के लिए देवी मां का पूजन शुरू किया जाता है।

आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के मंगल कलश स्थापना की विधि और नियम। आराधना का यह पर्व प्रथम तिथि को घट स्थापना (कलश या छोटा मटका) से आरंभ होता है। साथ ही नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योति भी जलाई जाती है।
घट स्थापना करते समय यदि कुछ नियमों का पालन भी किया जाए तो और भी शुभ होता है। इन नियमों का पालन करने से माता अति प्रसन्न होती हैं। इस बार चैत्र घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल 2022, शनिवार की सुबह 06:22 बजे से 08:31 मिनट तक रहेगा। यानी कि कुल अवधि 02 घण्टे 09 मिनट की रहेगी। इसके अलावा घटस्थापना को अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:08 बजे से 12:57 बजे तक रहेगा। वहीं प्रतिपदा तिथि 1 अप्रैल 2022 को सुबह 11:53 बजे से शुरू होगी और 2 अप्रैल 2022 को सुबह 11:58 पर खत्‍म होगी
चैत्र घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
घटस्थापना शुभ मुहूर्त: सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक
घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:08 बजे से 12:57 बजे तक रहेगा।
नवरात्र में कैसे करें कलश स्थापना
अगर आप घर में कलश स्थापना कर रहे हैं तो सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाएं। फिर कलश पर मौली बांधें और उसमें जल भरें। कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र और पंचरत्न व सिक्का डालें। इसमें अक्षत भी डालें।
कलश स्थापना में ध्यान में रखें ये बातें
- घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए।
- नित्य कर्म और स्नान के बाद ध्यान करें।
- इसके बाद पूजन स्थल से अलग एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाएं।
- इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।
- कलश का मुंह खुला ना रखें, उसे किसी चीज से ढक देना चाहिए।
- अगर कलश को किसी ढक्कन से ढका है तो उसे चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रखें।
- इस कलश में शतावरी जड़ी, हलकुंड, कमल गट्टे व रजत का सिक्का डालें।
- दीप प्रज्ज्वलित कर इष्ट देव का ध्यान करें।
- तत्पश्चात देवी मंत्र का जाप करें।
- अब कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में रोंपें।
- इस ज्वारे को माताजी का स्वरूप मानकर पूजन करें।
- अंतिम दिन ज्वारे का विसर्जन करें।
घटस्थापना को लेकर मान्यता
मान्यता है कलश स्थापना से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। क्योंकि सबसे पहले कलश की ही पूजा की जाती है और उसके बाद मां दुर्गा की आराधना शुरू होती है। दरअसल कशल के मुख पर भगवान विष्णु का वास होता है और कंठ में रुद्र मतलब भगवान शिव का और मूल में ब्रह्मा जी का वास होता है। इसलिए एक कलश की पूजा करने से त्रिदेव की पूजा हो जाती है।


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