धर्म-अध्यात्म

26 सितंबर से शुरू हो रहा है नवरात्र, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

Subhi
9 Sep 2022 6:11 AM GMT
26 सितंबर से शुरू हो रहा है नवरात्र, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
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महाशक्ति के पर्व शारदीय नवरात्र 26 सितंबर 2022 से शुरू हो रहे हैं. इसके लिए सभी लोगों ने अभी से तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. इन तैयारियों का पहला भाग है कलश यानी घट की स्थापना कहते हैं

महाशक्ति के पर्व शारदीय नवरात्र 26 सितंबर 2022 से शुरू हो रहे हैं. इसके लिए सभी लोगों ने अभी से तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. इन तैयारियों का पहला भाग है कलश यानी घट की स्थापना. कहते हैं अच्छे मुहूर्त (Navratri Kalash Sthapna Muhurt) में कलश स्थापना की जाए और सच्चे मन से पूरी आस्था- श्रद्धा के साथ मां की आराधना की जाए तो वह अपने भक्तों पर अवश्य ही प्रसन्न होती हैं. आइए सबसे पहले जानते हैं कि घट की स्थापना किस तारीख को किस समय की जानी चाहिए.

शारदीय नवरात्र में घट स्थापना

दिन - आश्विन मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 26 सितंबर 2022

घट स्थापना मुहूर्त - प्रातः 06:11 से 07:51 बजे तक

कुल अवधि - 01 घण्टा 40 मिनट

घट स्थापना अभिजित मुहूर्त - पूर्वाह्न 11:48 बजे से 12:36 बजे तक

कुल अवधि - 48 मिनट

कर्म, भक्ति और ज्ञान की त्रिविध मन्दाकिनी है दुर्गा सप्तशती

नवरात्र यानी शक्ति की उपासना, मां दुर्गा (Maa Durga) की आराधना कर हम अपने परिवार, समाज और राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने की प्रार्थना कर सकते हैं. यह समय शक्ति भरने का माना गया है. इस लेख में हम दुर्गा सप्तशती ग्रंथ से कवच यानी व्यक्ति की सुरक्षा के विषय पर चर्चा करेंगे. दुर्गा सप्तशती में भगवती की कृपा के साथ ही उनके गूढ़ रहस्य भी हैं. यह ग्रंथ कर्म, भक्ति और ज्ञान की त्रिविध मन्दाकिनी है. भगवती की उपासना से सकाम भक्तों को मनोवांक्षित फल की प्राप्ति होती है और निष्काम भक्त परम दुर्लभ मोक्ष पाकर कृतार्थ होते हैं.

भगवती के स्वरूप और शरीर की रक्षा

भगवती के विभिन्न स्वरूप हमारे शरीर के अलग अलग अंगों की रक्षा करती है. मार्कण्डेय ऋषि ने ब्रह्मा जी संसार में मनुष्यों की रक्षा के उपाय के बारे में पूछा तो ब्रह्मा जी ने कहा कि देवी का कवच संपूर्ण प्राणियों का उपकार करने वाला है. देवी के नौ स्वरूपों के अलग अलग नाम बताए गए हैं. इसीलिए नवरात्र को नवदुर्गा भी कहा जाता है.

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी.

तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्

पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च

सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः

अर्थात नौ देवियों का क्रम यह है -

1. शैलपुत्री

2.ब्रह्मचारिणी,

3.चंद्रघंटा

4.कृष्माण्डा

5.स्कंदमाता

6.कात्यायनी

7.कालरात्रि

8.महागौरी

9.सिद्धिदात्री

पूरे विधि विधान से करें पूजा

हमें इसी क्रम से मां दुर्गा (Maa Durga) के अवतारों की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से आराधना करने से मां दुर्गा अपने भक्तों से अवश्य ही प्रसन्न होती हैं और उनके सारे कष्ट हरकर सुख-संपत्ति की बरसात करती हैं. इस पर्व में मां दुर्गा के प्रति सच्चे भक्ति भाव का होना ज्यादा जरूरी माना जाता है.


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