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Navratri durga puja 2020: आज नवरात्रि के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की आराधना, जानें पूजन विधि, मंत्र जाप

Tara Tandi
17 Oct 2020 11:54 AM GMT
Navratri durga puja 2020: आज नवरात्रि के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की आराधना, जानें पूजन विधि, मंत्र जाप
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आज से नवरात्रि शुरू हो गई है। आज नवरात्रि का पहला दिन है। आज के दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| आज से नवरात्रि शुरू हो गई है। आज नवरात्रि का पहला दिन है। आज के दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है। मां शैलपुत्री, मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं। ये पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। कहा जाता है कि पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या थीं। तब इनका नाम सती था। नवरात्रि के पहले दिन मां की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जानी चाहिए। आइए जानते हैं माता शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र, आरती।

माता शैलपुत्री की पूजा विधि:

नवरात्रि प्रतिपदा के दिन कलश या घट स्थापना करें। इसके बाद दुर्गा पूजा का संकल्प लें। फिर माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करें। मां को अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प आदि अर्पित करें। मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद कपूर या गाय के घी से दीपक जलाएं। मां की आरती करें। शंखनाद के साथ घंटी बजाएं। मां को प्रसाद अर्पित करें। पूजा समाप्त होने के बाद घर में सभी को प्रसाद दें।

माता शैलपुत्री के मंत्र:

1. शिवरूपा वृष वहिनी हिमकन्या शुभंगिनी,

पद्म त्रिशूल हस्त धारिणी,

रत्नयुक्त कल्याण कारीनी..

2. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:

बीज मंत्र: ह्रीं शिवायै नम:.

3. वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ .

वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

4. प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्.

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥

त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्.

सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन.

मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

माता शैलपुत्री की आरती:

मां शैलपुत्री की आरती शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।

नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है।

शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।

ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।

उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।

मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

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