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नवरात्रि शुरू, जानिए घटस्थापना मुहूर्त, पूजा विधि और सामग्री
जनता से रिश्ता वेबडेस्क हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व माना जाता है। नवरात्रि का नाम सुनते ही लोगों में भक्ति की लहर दौड़ जाती है। भक्त इन नौ दिनों को लेकर अति उत्साहित रहते हैं। मुख्यतः ये नौ दिन शक्ति की आराधना के दिन होते हैं। सामान्यजन के लिए प्रत्येक वर्ष छह माह के अंतराल पर दो बार नवरात्रि आती हैं। अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इस बार शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से आरंभ हो रही हैं। नवरात्रि आरंभ होने से पहले ही भक्त सारी तैयारियां करके रख लेते हैं ताकि मां दुर्गी की आराधना में कोई कमी न रह जाए। कल से नवरात्रि आरंभ है तो आप भी आज ही पूजा की सारी सामाग्री लाकर रख लें ताकि नवरात्रि के पहले दिन पूजन करते हुए कोई बाधा न आए तो चलिए जानते हैं घटस्थापना मुहूर्त, विधि और पूजन सामाग्री।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-
अश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ-06 अक्टूबर 2021 को शाम 04 बजकर 34 मिनट से
अश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त- 07 अक्टूबर 2021 को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 17 मिनट से लेकर 07 बजकर 07 मिनट तक
कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
एक चौड़े मुंह का मिट्टा का पात्र, मिट्टी या फिर बालू (नदी का रेत), घट या कलश, आम को पत्ते, गंगाजल, बौने के लिए जौं,जटा वाला नारियल, मौली व लाल चुनरी, लौंग, सुपारी, रोली, अक्षत, पुष्प।
पूजन सामग्री लिस्ट-
लकड़ी की चौकी या साफ पटरा, माता रानी की तस्वीर या प्रतिमा, लक्ष्मी गणेश की तस्वीर, देशी घी, दीपक, रुई (बाती बनाने के लिए), धूपबत्ती, बताशे, पूजा का जायफल, सूखी धूप, पान, सुपारी, इलायची, लौंग व कपूर,गाय के गोबर के उपले, फल-फूल, फूलों का हार माता रानी के लिए लाल चुनरी, श्रंगार का सामान (चूड़ी, सिंदूर, महावर, बिंदी, काजल,मेहंदी) आदि। बाकी अपने अनुसार सामाग्री ला सकते हैं, जैसे यदि आप लोबान, गुग्गुल आदि का उपयोग पूजन में करना चाहते हैं।
कलश स्थापना विधि-
प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके घर की साफ-सफाई कर लें। अब लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर, गंगाजल छिड़के। मां दुर्गा, भगवान गणेश, लक्ष्मी व अन्य देवी-देवताओं की जिनकी पूजा करनी है उनकी तस्वीर स्थापित करें। अब कलश के ऊपर रोली से ऊं या फिर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और कलश के मोड़ पर कलावा बांधे। अब मिट्टी के पात्र में बालू या मिट्टी को थोड़ा सा गीला करके उसमें जौं मिलाएं और कलश में जल भरकर उसके ऊपर स्थापित करें। कलश के जल में थोड़ा सा गंगाजल, सुपारी, लौंग का जोड़ा, रुपये का सिक्का, आदि डाल दें। अब कलश के ऊपर आम के पत्ते लगाएं और नारियल में चुनरी लपेटकर उसके ऊपर रखें। अब गणपति का ध्यान करते हुए कलश को प्रणाम करें और माता रानी के समक्ष दीपक प्रज्वलित करके उनका तिलक करें और व्रत का संकल्प लें। फल-फूल नैवेद्य से मां का विधिवत पूजा करें।