धर्म-अध्यात्म

Navratri 2021 : नवरात्रि में क्यों नहीं खानी चाहिए प्याज-लहसुन, जानिए

Rani Sahu
8 Oct 2021 8:59 AM GMT
Navratri 2021 : नवरात्रि में क्यों नहीं खानी चाहिए  प्याज-लहसुन, जानिए
x
मां दुर्गा की उपासना के पावन दिनों की शुरुआत 7 अक्टूबर से हो चुकी है. नवरात्रि (Navratri 2021) के दिनों में माता रानी को प्रसन्न करने के लिए कुछ लोग नौ दिनों का व्रत रखते हैं

मां दुर्गा की उपासना के पावन दिनों की शुरुआत 7 अक्टूबर से हो चुकी है. नवरात्रि (Navratri 2021) के दिनों में माता रानी को प्रसन्न करने के लिए कुछ लोग नौ दिनों का व्रत रखते हैं, तो कुछ लोग पहले और अष्टमी के दिन व्रत रखते हैं. जो लोग व्रत नहीं रखते, वे भी नवरात्रि के तमाम नियमों का पालन करते हैं.

इन दिनों घर में इन दिनों शुद्धता का बहुत खयाल रखा जाता है. व्रत न रखने वाले लोग भी नौ दिनों के लिए प्याज और लहसुन का सेवन बंद कर देते हैं. कुछ लोगों को तो इसकी वजह भी पता नहीं होती, बस दूसरों को देखकर और धार्मिक नियमों का हवाला देकर ऐसा करते हैं. इसलिए यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि नवरात्रि के दौरान क्यों बंद किया जाता है प्याज और लहसुन का सेवन.
तामसिक भोजन की श्रेणी में आता
हिंदू शास्त्रों में व्यक्ति को सात्विक जीवन जीने की सलाह दी गई है क्योंकि भोजन का प्रभाव हमारे मन की स्थिति पर भी पड़ता है. इसीलिए कहा जाता है कि 'जैसा अन्न, वैसा मन'. सात्विक भोजन मन को शांत और स्थिर रखता है, जबकि तामसिक भोजन मन को विचलित करता है. प्याज और लहसुन को भी तामसिक भोजन माना जाता है. चूंकि नवरात्रि के दिन माता की आराधना के दिन होते हैं, ऐसे में तामसिक भोजन मन को विचलित करता है और मां की आराधना में विघ्न डालता है.
मन को चंचल बनाता
प्याज और लहसुन में तामसिक गुण होने की वजह से ये मन को चंचल बनाता है. एक जगह एकाग्र नहीं होने देता. इसके अलावा प्याज-लहसुन के सेवन से इंसान की कामुक ऊर्जा जागृत होने लगती है और व्यक्ति का मन भोग-विलास की ओर मन आकर्षित होता है. जब कि व्रत और साधना के दौरान अपनी इंद्रियों को वश में रखने और मन को नियंत्रित करने की बात कही गई है. यही वजह है कि नौ दिनों तक प्याज-लहसुन न खाने की सलाह दी गई है.
समुद्र मंथन से जुड़ी कहानी भी प्रचलित
पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन के दौरान ​निकले अमृत को मोहिनी रूप धारण करे हुए भगवान विष्णु देवताओं में बांट रहे थे, तभी स्वरभानु नाम के दैत्य ने समुद्रमंथन के बाद देवताओं के बीच बैठकर अमृत का सेवन कर लिया. जब भगवान विष्णु को ये पता चला तो उन्होंने स्वरभानु के सिर को धड़ से अलग कर दिया. सिर के धड़ से अलग होने के बाद स्वरभानु के सिर को राहु और धड़ को केतु कहा जाने लगा. सिर के धड़ से अलग होने पर अमृत की दो बूंदे धरती पर गिरीं, जिनसे प्याज और लहसुन उत्पन्न हुए. अमृत से उत्पन्न होने की वजह से ये दोनों चीजें सेहत के लिए काफी गुणकारी मानी जाती हैं. लेकिन इनकी उत्पत्ति राक्षस के जरिए हुई, इसलिए इन्हें अपवित्र माना जाता है और पूजा पाठ के काम में शामिल नहीं किया जाता है.


Next Story