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धर्म-अध्यात्म
Navratri 2021: कल से शुरू शारदीय नवरात्र, जानिए इस बार 8 दिन का कलश स्थापना की शुभ मुहूर्त
Deepa Sahu
6 Oct 2021 4:21 PM GMT
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सर्वपितृ अमावस्या का आज अंतिम श्राद्ध है।
सर्वपितृ अमावस्या का आज अंतिम श्राद्ध है। गुरुवार से नवरात्र का शुभारंभ होगा। नवरात्र इस बार महज 8 दिन का ही है। 14 अक्टूबर को समापन होगा। इस बार श्राद्ध की तिथि एक दिन बढ़ गई थी। इसी का असर नवरात्र पर पड़ा है। 9 दिन की जगह इस बार नवरात्र महज 8 दिन का होगा। तीसरा और चौथा नवरात्र एक ही दिन होगा। मां चंद्रघंटा और कुष्मांडा देवी की पूजा एक ही दिन होगी। मां का आगमन इस बार पालकी में होगा। उनका प्रस्थान हाथी पर होगा। मां का पालकी पर आना और हाथी पर जाना शुभ माना गया है।
पहले दिन होगी शैलपुत्री की पूजा
सर्वपितृ अमावस्या को शस्त्र आदि से अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के लिए श्राद्ध किया गया। इसके बाद पितृ विसर्जन हो जाएगा। इस दिन ऐसे लोगों का श्राद्ध किया जाएगा जिनके निधन की तिथियां पता नहीं हैं। श्राद्ध पक्ष के बाद सात अक्टूबर से शारदीय नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री का पूजन किया जाएगा। इसी दिन महाराजा अग्रसेन जयंती भी पड़ रही है। हालांकि कोरोना संक्रमण से बचाव के मद्देनजर सार्वजनिक जुलूस नहीं निकाला जाएगा।
इस बार 8 दिन का नवरात्र
शारदीय नवरात्र कल यानी 7 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। मंदिरों में नवरात्र को लेकर सभी तैयारियां कर ली गई हैं। भक्तों में भी काफी उत्साह है। पिछले साल से कोरोना के कारण लोग घरों में ही रहकर मां की पूजा-अर्चना करते थे। इस बार नवरात्र 8 दिन का ही है। पंडित राम अवतार शास्त्री ने बताया कि षष्ठी तिथि की हानि होने के कारण 8 दिन का शारदीय नवरात्र शुभ नहीं माना गया है।
नवरात्र 7 से 14 अक्टूबर तक ही रहेंगे। पहले दिन 7 अक्टूबर को शैलपुत्री, दूसरे दिन 8 को ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन 9 को चंद्रघंटा, चौथे दिन 10 को कुष्मांडा, पांचवें दिन 11 को स्कंदमाता और कात्यायनी, छठे दिन 12 को कालरात्रि, सातवें दिन 13 को महागौरी, अंतिम दिन 14 को सिद्धिदात्री की पूजा होगी।
घट स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त दिन में 11:37 बजे से दोपहर 12:23 बजे तक है।
इसके अलावा आप चाहें तो प्रात:काल में 6:54 बजे से सुबह 9:14 बजे के मध्य नवरात्रि कलश स्थापना करें।
कलश स्थापना या घटस्थापना के साथ ही मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ होती है। 7 अक्टूबर को अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना करें, यह सर्वोत्तम मुहूर्त होता है।
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