धर्म-अध्यात्म

Navratri 2021: जरूर जाए माता के ये 5 मंदिर, जहां दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर होने की है मान्यता

Tulsi Rao
23 Sep 2021 4:29 PM GMT
Navratri 2021: जरूर जाए माता के ये 5 मंदिर, जहां दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर होने की है मान्यता
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हिंदी पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि 2021, 7 अक्टूबर से शुरू होगी और 15 अक्टूबर को समाप्त होगी. इन 9 दिनों की नवरात्रि 2021 में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूजन करते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Navratri 2021: हिंदी पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि 2021, 7 अक्टूबर से शुरू होगी और 15 अक्टूबर को समाप्त होगी. इन 9 दिनों की नवरात्रि 2021 में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूजन करते हैं. मान्यता है कि भक्त यदि नौ दिन माँ दुर्गा की श्रद्धा और विश्वास के साथ सच्चे मन से आराधना और उपासना करें तो मां उनके सारे कष्ट हर लेती है. कहा जाता है कि नवरात्रि में इन मंदिरों में जाकर सच्चे मन से दर्शन मात्र कर लें, तो उनका जीवन धन्य हो जाता है. मां की कृपा से उनका जीवन सुख समृद्धि से भरा रहता है. आइये जानें इन मंदिरों के बारे में:-

नैना देवी मंदिर, बिलासपुर: 51 शक्तिपीठों में से एक नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में स्थित है. यहां मां नैना देवी की मूर्ति स्थापित की गई है. कहा जाता है कि इसी जगह पर माता सती की आंख गिरी थी. इसी वजह से इस माता का नाम नैना देवी पड़ा.
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी: कामाख्या मंदिर गुवाहाटी {असम } शहर की नीलांचल पहाड़ियों पर स्थित है. यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. इस मंदिर में मां कामाख्या की मूर्ति स्थापित है. यह सिद्ध शक्तिपीठ है. यहां तांत्रिक क्रियाओं का प्रयोग किया जाता है.
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता : दक्षिणेश्वर काली मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकाता के दक्षिणेश्वर में हुगली नदी के किनारे स्थित है. इस मंदिर में मां भवतारिणी की मूर्ति स्थापित है. इन्हें मां काली का रुप माना जाता है.
माता ज्वाला देवी मंदिर, कांगड़ा: माता ज्वाला देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है. इस मंदिर में हमेशा आग की लपटे निकलती रहती हैं. इस लिए इसे माता ज्वाला का मंदिर कहा जाता है. यह 51 शक्तिपीठों में से एक है.
करणी माता मंदिर : करणी माता का मंदिर राजस्थान के देशनोक में स्थित है. इसे चूहों का मंदिर भी कहते हैं, क्योंकि इस मंदिर में हजारों चूहा एकत्रित होते हैं. करणी माता को दुर्गा का रूप मानते हैं


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