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- नवमी श्राद्ध आज, जानें...
भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से शुरू हुए पितृ पक्ष की आज नवमी तिथि है। इसे मातृ नवमी भी कहा जाता है। क्योंकि आज के दिन दिवंगत माताओं, बेटियों, सुहागिन स्त्रियों का श्राद्ध किया जाता है। आज के दिन दिवंगत माताओं का श्राद्ध करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही सुख समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।
माना जाता है कि आज के दिन घर की पुत्रवधुओं को व्रत रखना चाहिए, क्योंकि इस श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है। इस दिन कुश के आसन में बैठकर भगवत गीता के नौवें पाठ का अध्याय करें।
पंचांग के अनुसार, इस साल पितृपक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आरंभ हुए थे जो आश्विन मास की अमावस्या के दिन समाप्त होंगे। इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है। इन पंद्रह दिनों में पूर्वजों को याद करते हुए श्राद्ध, दान पुण्य किया जाता है। माना जाता है कि इन दिनों में पितरों का श्राद्ध, तर्पण करने से आत्मा को तृप्ति मिलती है। वहीं नवमी तिथि के दिन बहुओं, बेटियों, माताओं का श्राद्ध किया जाता है। चाहे उनका निधन किसी भी दिन क्यों न हुआ हो।
मातृ नवमी तिथि का शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि का प्रारंभ - 18 सितंबर को शाम 04 बजकर 30 मिनट से
नवमी तिथि का समापन - 19 सितंबर को शाम 06 बजकर 30 मिनट पर
मातृ नवमी पर श्राद्ध की विधि
आज सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें।
अब घर की दक्षिण दिशा में हरे रंग का कपड़ा बिछाकर अपने पितरों की तस्वीर रखें। अगर तस्वीर न हो, तो प्रतीक के रूप में एक-एक सुपारी रखें।
पितृ पक्ष की नवमी तिथि को माताओं का श्राद्ध किया जाता है। इस दिन अपनी माता को याद करके आटा दीपक बनाएं और उसे जलाएं।
अब श्रद्धापूर्वक सभी पितरों को याद करके तिल का दीपक जला लें।
एक तांबे के लोटे में जल और थोड़े से काले तिल डालकर पितरों का तर्पण करें।
आज के दिन पितरों की तस्वीर में तुलसी अर्पित करें।
मातृ नवमी के दिन ब्राह्मण महिलाओं को भोजन करना काफी शुभ माना जाता है। इसके साथ ही उन्हें सोलह श्रृंगार की चीजें भेट़ दें। ऐसा करने से माताओं का आशीर्वाद मिला है।
मातृ नवमी के दिन ब्राह्मणों के अलावा गाय, कौवा, कुत्ता, चींटी और चीटियों के लिए भोजन निकालना चाहिए।