विज्ञान

नासा ने बताया, कैसा होता है मंगल पर सूर्य ग्रहण

Subhi
2 Sep 2022 3:06 AM GMT
नासा ने बताया, कैसा होता है मंगल पर सूर्य ग्रहण
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पृथ्वी और चंद्रमा का तंत्र बहुत ही अनोखा है. इसके कई कारण हैं. इनमें एक यह भी है कि पृथ्वी से ही चंद्रमा और सूर्य का आकार लगभग एक सा दिखाई देते है. इसी के कारण पृथ्वी पर सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) भी बहुत अनोखा होता है.

पृथ्वी और चंद्रमा का तंत्र बहुत ही अनोखा है. इसके कई कारण हैं. इनमें एक यह भी है कि पृथ्वी से ही चंद्रमा और सूर्य का आकार लगभग एक सा दिखाई देते है. इसी के कारण पृथ्वी पर सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) भी बहुत अनोखा होता है. जिसमें चंद्रमा सूर्य को ठीक तरह से ढक लेता है. लेकिन मंगल ग्रह और उसके चंद्रमाओं (Moons of Mars) फोबोस और डीमोस की वजह से भी सूर्य ग्रहण लगते हैं. लेकिन पृथ्वी और मंगल दोनों के सूर्य ग्रहणों में काफी अंतर है. नासा (NASA) के अपॉर्च्यूनिटि, क्यूरोसिटी और पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल के सूर्यग्रहणों के वीडियो रिकॉर्ड किए हैं. नासा ने इन्ही विडियो को जारी किया है. नासा ने इसी अंतर के बारे में बताया है.

आकार में बहुत छोटे हैं चंद्रमा

पृथ्वी की तरह मंगल ग्रह के चंद्रमाओं की भी छाया मंगल पर पड़ती है. जहां फोबोस 7.65 घंटे में और डीमोस 30.35 घंटों में मंगल का एक चक्कर पूरा कर पाते हैं. ये दोनों ही चंद्रमा हमारी पृथ्वी के चंद्रमा से बहुत छोटे हैं. इसके अलावा इन दोनों का आकार भी पूरी तरह से गोल नहीं है. इस तरह से तकनीकी रूप से ये वास्तव में सूर्य को पूरा ग्रहण भी नहीं लगा पाते हैं.

पूरा ग्रहण नहीं लगता कभी

जब मंगल के दोनों चंद्रमा अपने अपने समय में मंगल और सूर्य के बीच में आ जाते हैं तो मंगल की सतह पर अवलोकन करने वालों को कभी सूर्य को पूरा ढकते नहीं दिखेंगे जैसा कि पृथ्वी की सूर्य ग्रहण में होता है. बल्कि मंगल से ये प्राकृतिक उपग्रह परागमन के दौरान सूर्य पर केवल एक धब्बे के तौर पर दिखाई देंगे.

ग्रहण का एक प्रभाव यह भी

वैज्ञिनिकों ने मंगल पर फोबोस की छाया का मंगल पर अजीब सा प्रभाव अवलोकित किया है. मंगल ग्रह की भूकंपीय गतिविधियों का मापन करने के लिए इन्साइट लैंडर ऐसी घटना के दौरान थोड़ा सा झुक जाता है. वैज्ञानिकों को कहना है कि ऐसा मंगल की सतह में विकृति आने से होता जो सौर विकिरण कम होने से सतह को थोड़ा ठंडा कर देती है.

दोनो चंद्रमाओं का अलग-अलग प्रभाव

दोनों चंद्रमाओं में से फोबोस की मंगल की सतह पर ज्यादा बड़ी छाया पड़ती है और ग्रहण के समय यह सूर्य से आने वाले प्रकाश का 40 प्रतिशत हिस्सा रोक लेता है. वहीं दूसरा चंद्रमा डीमोस कुछ ज्यादा दूर है और छोटा भी है जो काफी कम प्रकाश रोका पाता है. इससे साफ होता है कि पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति कितनी ज्यादा सटीक है.

पृथ्वी का सूर्यग्रहण क्यों बहुत अनोखा

जहां पृथ्वी के सूर्य ग्रहण पर गोलाकार चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है जबकि आकार में चंद्रमा सूर्य से बहुत छोटा है. ऐसा इसलिए हैं कि जहां चंद्रमा सूर्य से 400 गुना छोटा है, वह सूर्य की तुलना में पृथ्वी से 400 गुना ज्यादा पास भी है. इसीलिए आकाश में दोनों का आकार एक ही जैसा दिखाई देता है और सूर्य ग्रहण होने पर चंद्रमा सूर्य को लगभग पूरा ढक लेता है.

क्यों दिखाई देती हैं रिंग

लेकिन सूर्य और चंद्रमा की कक्षा के आकार भी पूरी तरह से वृत्ताकार नहीं हैं जिससे दोनों हमेशा पृथ्वी से समान दूरी पर नहीं रहते है. इस वजह से उनके आकार में भी बदलाव आ जाता है. यही वजह है कि हमें साल में एक ही बार ऐसा सूर्य ग्रहण देखने को मिलता है जब सूर्य को चंद्रमा पूरी तरह से नहीं ढक पाता है और उसके आसपास एक रिंग देखने को मिलती है.


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