- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- नर्मदा जयंती आज, जानिए...
हिंदू धर्म में न सिर्फ देवी-देवताओं की भक्ति भाव से पूजा-उपासना करने की परंपरा है, बल्कि पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और नदियों की भी पूजा होती है। हिंदू धर्म में नदियों को बहुत ही पूज्यनीय माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती मनाई जाती है। इस बार नर्मदा जयंती 07 फरवरी को है। ऐसी मान्यता है कि आज के ही दिन धरती पर मां नर्मदा का अवतरण हुआ था। नर्मदा नदी को रेवा नदी के नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश में बहती है और अमरकंटक इन नदी का उद्गम स्थल है।
हिन्दू संस्कृति में नदियों को बहुत ही अधिक महत्व दिया गया है। उन्हें मां का दर्जा दिया गया है। मान्यता के अनुसार जितना पुण्य पूर्णिमा तिथि को गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान से प्राप्त होता है। उसी के समान पुण्य नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी में स्नान करने पर मिलता है। मां गंगा की तरह ही मां नर्मदा भी मोक्षदायिनी हैं।
नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी के सभी तटों को सजाया जाता है। नदी के तटों पर हवन किया जाता हैं। इस दिन मां नर्मदा के पूजन के बाद भंडारा का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही सुबह से शाम तक नदी के किनारे कई सारे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। संध्या में मां नर्मदा की महाआरती की जाती है। माना जाता है जो भक्त इस दिन मां नर्मदा का पूजन करते हैं उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है।
नर्मदा जयंती पूजन विधि
हिंदू धर्म में नदियों में स्नान करना बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है। नर्मदा जयंती पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के मध्य नर्मदा किसी भी समय स्नान किया जा सकता है। इस पावन अवसर पर प्रातः जल्दी उठकर नर्मदा में स्नान करने के बाद सुबह फूल, धूप, अक्षत, कुमकुम, आदि से नर्मदा मां के तट पर पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही इस पावन पर्व पर नर्मदा नदी पर दीप जलाकर दीपदान करना शुभ रहता है।
नर्मदा नदी का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव के द्वारा मां नर्मदा का अवतरण हुआ था। नर्मदा नदी की महिमा का चारो वेदों में वर्णन है। इसके अलावा रामायण और महाभारत में भी इस नदी उल्लेख है। इसी दिव्य नदी के नर्मदेश्वर शिवलिंग विराजमान हैं, जो हिन्दू आस्था का बड़ा केन्द्र माना जाता है। मान्यता है कि इसी नदी के तट पर साधना करते हुए देवताओं और ऋषि-मुनियों ने सिद्धियां प्राप्त की थी।