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धर्म-अध्यात्म
नारद मुनि जयंती आज, जानें सृष्टि के पहले पत्रकार से जुड़ी कुछ खास बातें
Renuka Sahu
17 May 2022 4:46 AM GMT
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फाइल फोटो
नारद मुनि ब्रह्मा जी के 7 मानस पुत्रों में से एक हैं. उन्हें सृष्टि के पहले पत्रकार के रूप में जाना जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नारद मुनि ब्रह्मा जी के 7 मानस पुत्रों में से एक हैं. उन्हें सृष्टि के पहले पत्रकार के रूप में जाना जाता है. नारद मुनि ने अपने जीवन में सूचनाओं का जो भी आदान प्रदान किया, वो हमेशा लोगों के हित को ध्यान रखते हुए किया. आज नारद जयंती के मौके पर जानिए आखिर क्यों उन्हें सच्चे पत्रकार के तौर पर जाना जाता है!
जब भी आप किसी धार्मिक टीवी सीरियल को देखते होंगे तो नारद जी हमेशा हाथ में वीणा लिए नारायण-नारायण रटते हुए दिखाए जाते हैं. दरअसल शास्त्रों में नारद मुनि को ब्रह्मा जी के सात मानस पुत्रों में से एक बताया गया है और उनका चित्रण भगवान विष्णु के परम भक्त के रूप में किया गया है और जिनके हाथ में वीणा होती है. हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस बार नारद जयंती 2022 (Narada Jayanti 2022) 17 मई को मनाई जा रही है. नारद जी को सृष्टि का पहला पत्रकार भी कहा जाता है. यहां जानिए इस कथन के पीछे की वजह और नारद मुनि से सीखिए पत्रकारिता का सही धर्म.
इसलिए कहलाते हैं पत्रकार
नारद मुनि को निरंतर चालायमान और भ्रमणशील होने का वरदान मिला है. इसके कारण वे हर समय तमाम लोकों में भ्रमण करते रहते हैं और वहां के हालातों का जायजा लेते रहते हैं. वे जब भी किसी लोक में जाते हैं, तो वहां के दुख और सुख की सूचना को भगवान नारायण तक पहुंचाते हैं. इसका मकसद सिर्फ लोगों का कल्याण होता है. एक पत्रकार का काम होता है दो लोगों के बीच संवाद बनाना और विचारों के बीच मध्यस्तता करना. नारद जी इस काम को बखूबी निभाते आए हैं, इसलिए उन्हें सृष्टि का पहला पत्रकार कहा जाता है.
नारद जी से सीखें लोकहित की पत्रकारिता
भगवान विष्णु को जगत का पालनहार कहा जाता है. देवर्षि नारद वास्तव में भगवान विष्णु के सच्चे दूत हैं. नारद मुनि सृष्टि के सभी लोकों में जाकर जब भी लोगों को परेशानी में देखते हैं तो वहां का सारा हाल नारायण तक पहुंचाते हैं, ताकि लोगों की वो समस्या नारायण जल्द ही दूर करें और जन कल्याण हो सके. नारद जी के सूचना देने का मकसद हमेशा यही होता है कि कभी किसी निर्दोष का बुरा न हो. भक्त प्रह्लाद, अम्बरीष और ध्रुव की फरियाद लेकर नारद मुनि ही भगवान नारायण तक लेकर पहुंचे थे और उनसे विनती की और उन्हें न्याय दिलाया. आज के समय में भी नारद मुनि से उस पत्रकारिता को सीखने की जरूरत है, जो वे किसी स्वार्थवश नहीं, बल्कि लोकहित में करते आए हैं. कहा जाता है कि नारद मुनि को अमरता का वरदान प्राप्त है. वे आज भी सभी लोकों में भ्रमण करते हैं और धरती का हाल भी नारायण तक पहुंचाते हैं.
मार्गदर्शक भी हैं नारद मुनि
नारद मुनि वेदों के ज्ञानी ही नहीं हैं, वे वेदों के ज्ञान का प्रचार प्रसार भी करते आए हैं. उन्हें वेदों के संदेशवाहक के रूप में भी जाना जाता है. इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर उन्होंने देवताओं ही नहीं, बल्कि दैत्यों को भी सही राह दिखाई है. उन्हें नारायण, शिव और इंद्र के सलाहकार के रूप में भी जाना जाता है. नारद मुनि को महाभारत के रचियता महर्षि वेद व्यास और रामायण के रचियता महर्षि बाल्मीकि का गुरु भी बताया जाता है.जनता से रिश्ता वेबडेस्क।
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