धर्म-अध्यात्म

13 अगस्त को नागपंचमी, जानिए क्यों मनाया जाता है नाग पंचमी का त्योहार

Shiddhant Shriwas
10 Aug 2021 11:36 AM GMT
13 अगस्त को नागपंचमी, जानिए क्यों मनाया जाता है नाग पंचमी का त्योहार
x
सनातन धर्म के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस साल नागों को पूजने का यह पर्व 13 अगस्त को मनाया जाएगा।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सनातन धर्म के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस साल नागों को पूजने का यह पर्व 13 अगस्त को मनाया जाएगा। स्कन्द पुराण के अनुसार इस दिन नागों की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार नाग पंचमी पर की जाने वाली पूजा से राहु केतु के बुरे प्रभाव एवं कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। नाग देवता की पूजा के साथ भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन रुद्राभिषेक कराने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार नागों के दो प्रकार बताए गए हैं-दिव्य और भौम। दिव्य सर्प तक्षक और वासुकि हैं इन्हें धरती का भार उठाने वाला और प्रज्वलित अग्नि के समान परम तेजस्वी बताया गया है। ये यदि क्रोधित हो जाएं तो पूरी सृष्टि को अपनी फुफकार और दृष्टि मात्र से भस्म कर सकते हैं। जो भूमि पर विचरण करते हैं और जिनकी दाढ़ों में बिष होता है एवं जो मनुष्य को काटते हैं,वे अस्सी प्रकार के बताए गए हैं।

ऐसे शुरू हुई नाग पूजा

पौराणिक कथा के अनुसार अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने सर्पों से बदला लेने और नागवंश के विनाश के लिए एक नाग यज्ञ किया, क्योंकि उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सर्प के काटने से हुई थी। नागों की रक्षा के लिए इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था। उन्होंने सावन की पंचमी वाले दिन ही नागों को यज्ञ में जलने से रक्षा की थी। इनके जलते हुए शरीर पर दूध की धार डालकर इनको शीतलता प्रदान की थी। उसी समय नागों ने आस्तिक मुनि से कहा कि पंचमी को जो भी मेरी पूजा करेगा उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा। तभी से पंचमी तिथि के दिन नागों की पूजा की जाने लगी। जिस दिन इस यज्ञ को रोका गया,उस दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी एवं तक्षक नाग व उसका शेष बचा वंश विनाश से बच गया।मान्यता है कि यहीं से नाग पंचमी पर्व मनाने की परंपरा प्रचलित हुई। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग का अहंकार तोड़ा था।

पूजा विधि

पंचमी के दिन सुबह स्नान कर व्रत और पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थल पर नागदेवता का चित्र लगाएं या मिट्टी के सर्प देवता बना कर उनको चौकी पर स्थापित कर दें। हल्दी, रोली, चावल,कच्चा दूध और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें। तत्पश्चात कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर नाग देवता को अर्पित करें।नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों का ध्यान कर पूजा करें। अब नाग देवता की आरती करें और वहीं बैठ कर नागपंचमी की कथा पढ़ें। इसके बाद नाग देवता से घर में सुख-शांति और सुरक्षा की प्रार्थना करें। नागदेवता की पूजा करने वाली महिलाएं नाग को अपना भाई मानती हैं और उनसे अपने परिवार की रक्षा का वचन लेती हैं। मान्यता है कि नागपंचमी पर सांपों को दूध चढ़ाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही नागदेवता की पूजा से घर में धन आगमन का स्रोत बढ़ता है। शास्त्रों में वर्णित है कि नाग देव गुप्त धन की रक्षा करते हैं।

Next Story