धर्म-अध्यात्म

Nag Panchami: पहली बार चांदी के पालने में झूलेंगे अयोध्या के रामलला, मणि पर्वत मेला हुआ शुरू

Deepa Sahu
12 Aug 2021 9:49 AM GMT
Nag Panchami: पहली बार चांदी के पालने में झूलेंगे अयोध्या के रामलला, मणि पर्वत मेला हुआ शुरू
x
मणि पर्वत मेले के साथ रामनगरी अयोध्या में सावन मेला शुरू हो गया।

मणि पर्वत मेले के साथ रामनगरी अयोध्या में सावन मेला शुरू हो गया। मेले से संबंधित सभी तैयारियों को प्रशासन ने पूरा भी किया है। लेकिन कोविड प्रोटोकॉल के कारण श्रद्धालुओं के अयोध्या आने पर पाबंदी लगा दी गई है। वहीं दूसरी तरफ पहली बार रामलला चांदी के झूले में झूलेंगे। इसकी व्यवस्था श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने की है। पुजारी संतोष तिवारी के मुताबिक अभी तक रामलला को लकड़ी के छोटे झूले में झुलाया जाता रहा है। इस बार चांदी का झूला अस्थाई मंदिर में पहुंच चुका है, जिसका विधिवत पूजन किया गया है। अब नागपंचमी यानी शुक्रवार के दिन से रामलला को चांदी के पालने में झूलाकर महोत्सव मनाया जाएगा।

पंचमी तिथि को भाइयों के साथ झूला में बैठेंगे रामलला
5 फुट ऊंचा 21 किलो चांदी के झूले में सावन मास की पंचमी तिथि से रामलला के झूलन उत्सव शुरू हो जाएगा। झूले को अस्थाई मंदिर के परिसर में पहुंचा दिया गया है। वैसे तो अयोध्या के सभी मठ-मंदिरों में सावन मास की तृतीया तिथि से झूलन उत्सव शुरू हो जाता है लेकिन रामजन्म भूमि परिसर में सावन मास की पंचमी तिथि यानी की नाग पंचमी के दिन झूला उत्सव की परंपरा है। पंचमी तिथि को रामलाल अपने भाइयों के साथ विराजमान होंगे और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी और उत्सव की शुरुआत हो जाएगी।
सावन पूर्णिमा स्नान के साथ होता है मेले का समापन
परंपरा के अनुसार, सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन दर्जनों की संख्या में भगवान के विग्रह रथों पर सवार होकर मणि पर्वत पहुंचते हैं। पेड़ की डाल पर भगवान को झूला झुलाया जाता है। 22 तारीख को पूर्णिमा स्नान के साथ मेले का समापन होगा। लेकिन इस बार भी कोरोला प्रोटोकॉल के कारण संत-महंतों ने प्रशासन के अनुरोध पर विग्रह नहीं निकालें। लेकिन हजारों मंदिरों में झूलनोत्सव शुरू हो गया है। दर्शन करने के लिए पहुंचने वाले भक्त राम झरोखे से रामलला मंदिर के दर्शन कर सकेंगे। इसके जरिए राम मंदिर के निर्माण कार्य को देखा जा सकेगा।
मणि पर्वत का महत्व
मान्यता है कि भगवान राम ने जब माता सीता के साथ विवाह करने का बाद अयोध्या लेकर आए थे। तब महाराज जनक ने भगवान राम और माता सीता को उपहार स्वरूप मणियों की श्रंखला भेंट की थी, जिसको महाराजा दशरथ ने विघा कुंड के पास रखवा दिया था। महाराज जनक की दी गई मणियां इतनी ज्यादा थीं, कि वहां पर मणियों का पहाड़ जैसा बन गया, जो आज मणि पर्वत के रूप में प्रसिद्ध है। इसी पर्वत पर हरियाली तीज के दिन भगवान राम माता सीता के साथ झूला लगाकर झूलते थे। झूला झूलने की यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है।
प्रशासन ने जारी किया फरमान
अयोध्या में भीड़ इकट्ठा ना हो इसलिए मंगलवार की रात में ही जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं को अयोध्या छोड़ देने का फरमान जारी कर दिया था। दिनभर सभी को मॉस्क पहनने हिदायत दी जाती रही। हनुमानगढ़ी के गद्दी नशीन महंत प्रेमदास ने जिला प्रशासन पर सामंजस्य ना बैठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सुबह मुख्य गेट को बंद कर श्रद्धालुओं को रोक दिया गया। जिला अधिकारी से बात करने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए श्रद्धालुओं को दर्शन कराया गया। प्रशासन के मुताबिक स्थानीय लोगों को मेले में शामिल होने पर रोका नहीं जाएगा लेकिन दूसरे जिलों और राज्यों से आने वाले लोगों को अपनी कोरोना नेगेटिव की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट दिखानी होगी। पिछले साल कोरोना महामारी के कारण मणि पर्वत मेले का आयोजन नहीं हो सका था।


Next Story