धर्म-अध्यात्म

इंदिरा एकादशी पर जरूर करें इस व्रत कथा का पाठ

Subhi
21 Sep 2022 5:44 AM GMT
इंदिरा एकादशी पर जरूर करें इस व्रत कथा का पाठ
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आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है। आज के दिन पितरों के लिए व्रत रखना माना जाता है। माना जाता है कि आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही यमलोक में यातनाएं झेल रहे

आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है। आज के दिन पितरों के लिए व्रत रखना माना जाता है। माना जाता है कि आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही यमलोक में यातनाएं झेल रहे पितरों को भी स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इंदिरा एकादशी के दिन व्रत रखने के साथ कथा का अवश्य पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि इंदिरा एकादशी के व्रत कथा का पाठ करने से हर पापों से मुक्ति मिल जाती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस कथा का वर्णन स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के समय किया जाता था।

इंदिरा एकादशी की व्रत कथा

सतयुग में इंद्रसेन नाम के एक राजा माहिष्मती नामक क्षेत्र में शासन करते थे। इंद्रसेन भगवान विष्णु के परम भक्त और धर्मपरायण राजा थे। वह सुचारू रूप से राज-काज कर रहे थे। एक दिन अचानक देवर्षि नारद का उनकी राज सभा में आगमन हुआ। राजा ने देवर्षि नारद का स्वागत सत्कार कर उनके आगमन का कारण पूछा। देवर्षि नारद जी ने बताया कि कुछ दिन पूर्व वो यमलोक गए थे वहां पर उनकी भेंट राजा इंद्रसेन के पिता से हुई। राजन आपके पिता ने आपके लिए संदेश भेजा है। उन्होंने कहा कि जीवन काल में एकादशी का व्रत भंग हो जाने के कारण उन्हें अभी तक मुक्ति नहीं मिली है और उन्हें यमलोक में ही रहना पड़ रहा है। मेरे पुत्र और संतान से कहिएगा कि यदि वो आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें तो उसके भाग से मुझे मुक्ति मिल जाएगी।

नारद मुनि की बात सुनकर राजा इंद्रसेन ने व्रत का विधान पूछा और व्रत करने का संकल्प लिया। राजा ने पितृ पक्ष की एकादशी तिथि पर विधि पूर्वक व्रत का पालन किया। पितरों के निमित्त मौन रह कर ब्राह्मण भोज और गौ दान किया। इस प्रकार राजा इंद्रसेन के व्रत और पूजन के भाग से उनके पिता को यमलोक से मुक्ति और बैकुंठ लोक की प्राप्ति हुई। उस दिन से ही इस व्रत का नाम इंदिरा एकादशी पड़ गया। पितृ पक्ष में पड़ने वाली इस इंदिरा एकादशी के व्रत से पितरों को अधोगति से मुक्ति मिलती है और आपको उनका आशीर्वाद।


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