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धर्म-अध्यात्म
आज के दिन पूजा में जरूर पढ़ें ये पौराणिक कहानी
Shiddhant Shriwas
24 Oct 2021 5:51 AM GMT
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करवाचौथ व्रत को रखने वाली महिलाएं इस दिन एकत्र होती हैं और करवा चौथ व्रत कथा पढ़कर इसे त्योहार को मनाती हैं.
हिंदू त्योहार करवाचौथ (Karwa Chauth 2021) विवाहित महिलाओं के बीच बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं 'निर्जला' व्रत रखती हैं. महिलाएं इस दिन अपने पति की सुरक्षित और लंबी उम्र की प्रार्थना करने के लिए व्रत रखती हैं, हालांकि इन दिनों कई पति भी अपनी पत्नियों के साथ इसी कारण से व्रत रखते हैं.
इस व्रत को रखने वाली महिलाएं इस दिन एकत्र होती हैं और लोक कथा सुनाकर, करवा चौथ (Karwa Chauth Fast) व्रत कथा पढ़कर और लोक गीत गाकर इसे मनाती हैं. करवाचौथ पूजा में महिलाएं देवी पार्वती की भी पूजा करती हैं.
करवाचौथ की कहानी
रानी वीरवती की कथा
सबसे लोकप्रिय कहानी वीरवती नाम की खूबसूरत रानी की है, जो सात प्यारे भाइयों की इकलौती बहन थी. उन्होंने अपना पहला करवाचौथ एक विवाहित महिला के रूप में अपने माता-पिता के घर पर किया था. उसने सूर्योदय के बाद उपवास करना शुरू किया, लेकिन शाम तक, चंद्रमा के उगने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. लंबे इंतजार के बाद अब और प्यास और भूख नहीं सह सकती थी. करवाचौथ के लिए अपनी प्यारी बहन को प्यास और भूख से तड़पता देख उसके भाई बहुत दुखी हुए. उन्होंने उससे व्रत तोड़ने के लिए कहा लेकिन उसने मना कर दिया. इस पर भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा- बहन चन्द्रमा निकल आया है, अर्घ्य देकर भोजन कर लो. भाइयों द्वारा दिखाए प्रकाश को ही अर्घ्य देकर वीरवती भोजन कर लिया. इस प्रकार व्रत भंग होने से गणेश जी उससे रुष्ट हो गए. इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया. जो कुछ घर में था, उसकी बीमारी में लग गया.
गणेश जी से क्षमा-प्रार्थना करने के बाद वीरवती विधि-विधान से चतुर्थी का व्रत करना शुरू कर दिया. इस प्रकार उसके श्रद्धाभक्ति देख गणेश जी प्रसन्न हो गए. उन्होंने वीरवती के पति को जीवनदान दिया और धन-सम्पत्ति से युक्त कर दिया. इसलिए जो कोई छल-कपट से रहित श्रद्धाभक्तिपूर्वक चतुर्थी का व्रत करेगा वो कष्ट-कंटकों से मुक्त हो जाएगा.
करवा की कहानी
करवा नाम की एक महिला की एक और लोकप्रिय कहानी है जो एक समर्पित पत्नी थी. एक बार नदी में नहाते समय करवा के पति को एक मगरमच्छ ने पकड़ लिया. उसे बचाने के लिए करवा ने मगरमच्छ को सूती धागे से बांध दिया और मृत्यु के देवता- यम को जानवर को नरक में भेजने के लिए कहा. यम ने ऐसा करने से मना कर दिया क्योंकि मगरमच्छ की आयु अभी बची हुई थी और करवा के पति की आयु पूरी हो चुकी थी. इसलिए यम ने मना कर दिया. गुस्से में करवा ने यमराज से कहा कि अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको श्राप दे दूंगी. तब भयभीत यम ने मगरमच्छ को नरक भेज दिया और करवा के पति को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया. इसके बाद करवा और उसका पति एक साथ खुशी-खुशी रहने लगे.
Shiddhant Shriwas
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