धर्म-अध्यात्म

आज पूजा में जरूर पढ़ें ये आरती, भगवान होंगे प्रसन्न

Tara Tandi
11 Jun 2023 6:41 AM GMT
आज पूजा में जरूर पढ़ें ये आरती, भगवान होंगे प्रसन्न
x
धार्मिक तौर पर सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता हैं वही रविवार का दिन सूर्यदेव की आराधना को समर्पित किया गया हैं। इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा बरसती हैं और सभी प्रकार के कष्टों का अंत हो जाता हैं लेकिन किसी भी देवी देवता की व्रत पूजा बिना आरती के पूरी नहीं मानी जाती हैं ऐसे में अगर आप आज के दिन भगवान श्री सूर्यदेव की आराधना कर रहे हैं तो उनकी प्रिय आरती का पाठ जरूर करें ऐसा करने से सूर्यदेव का आशीर्वाद सदा बना रहता हैं जिससे सुख समृद्धि और सम्मान की प्राप्ति होती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सूर्यदेव की आरती।
श्री सूर्यदेव आरती—
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
Next Story