- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- दाह संस्कार के दौरान...
धर्म-अध्यात्म
दाह संस्कार के दौरान जरूर करें इन नियमों का पालन, शास्त्रों में किया गया है उल्लेख
SANTOSI TANDI
21 July 2023 9:26 AM GMT
x
शास्त्रों में किया गया है उल्लेख
मृत्यु इस जीवन का शाश्वत सत्य हैं, जिसका एक समय के बाद हर जीव को सामना करना हैं। जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। किसी भी इंसान की मृत्यु होने के बाद उसका अंतिम संस्कार किया जाता हैं जो कि धार्मिक शास्त्रों के 16 संस्कारों का ही हिस्सा हैं। मृत्यु के बाद व्यक्ति की अंतिम यात्रा निकाली जाती है और श्मशान में दाह संस्कार किया जाता है। मृत शरीर को श्मशान में पंचतत्व में विलीन कर दिया जाता है। शास्त्रों में इस प्रक्रिया से जुड़े कुछ नियम बताए गए हैं जिनका ध्यान रखने की जरूरत होती हैं। इन नियमों की पालना से जीवात्मा का सफर सुखद होता हैं और अगले जन्म में उत्तम शरीर मिलता हैं। आइये जानते हैं इन नियमों के बारे में...
इन 10 वस्तुओं का दान अनिवार्य
इस सफर में व्यक्ति के कर्म और पुण्य ही उसके साथ जाते हैं इसलिए मृत्यु करीब आने पर व्यक्ति को 10 चीजों का दान स्वयं कर देना चाहिए ये 10 चीजें हैं तिल, लोहा, सोना, रूई, नमक, सात प्रकार के अन्न, भूमि, गौ, जलपात्र और पादुका। कहा गया है कि इनके दान से यममार्ग में जाते हुए आत्मा को कष्ट का सामना नहीं करना होता है। व्यक्ति की मृत्य के बाद इन चीजों का दान करना चाहिए।
परिक्रमा करनी है जरूरी
चिता सजने के बाद चिता की परिक्रमा करनी चाहिए। यह मृत व्यक्ति के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का तरीका है। परिक्रमा द्वार परिजन के शव से यह आदेश प्राप्त किया जाता है कि आपने शरीर रहने तक हमारे लिए जो कुछ भी किया हम उसका आभार प्रकट करते हैं और अब आपको अंतिम विदाई देने के लिए आपके पार्थिव शरीर को अग्निदेव को समर्पित करते हैं जिससे आपकी देह जो पंचतत्व से बनी है वह पंचतत्व में विलीन होकर फिर से नवीन देह धारण कर सके।
शव को इस प्रकार करें विदा
शव को पवित्र और नवीन वस्त्र पहनाना चाहिए। पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि शव को नग्न नहीं जलना चाहिए। शव को वस्त्र पहनाकर नवीन वस्त्र से पूरी तरह ढक देना चाहिए। इसके बाद चिता पर शव को सुलाकर उसके ऊपर पुष्प, चंदन और पांच प्रकार की लकड़ियों को रखना चाहिए।
शवदाह के बाद ऐसा जरूर करें
शवदाह क्रिया होने तक परिजनों को श्मशान भूमि में रहकर मृत व्यक्ति की आत्मा को सद्गति मिलने की प्रार्थना करनी चाहिए। इसके बाद जितने लोग मृत व्यक्ति को श्मशान तक छोड़ने गए थे उन सभी को अंतिम प्रणाम करके तीन लकड़ी दाएं हाथ में और 2 लकड़ी बाएं हाथ में रखकर पीछे की ओर फेंक देना चाहिए और पीछे देखे बिना किसी नदी या तालाब पर जाकर वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद व्यक्ति का गोत्र और नाम के आगे प्रेत बोलकर अंजुली से जल देना चाहिए। इसके बाद लोहा, अग्नि, जल और पत्थर स्पर्श करने के बाद घर में प्रवेश करना चाहिए।
पीछे मुड़कर न देखना
मृत्यु से संबंधित विशेष बातों का उल्लेख गरुड़ पुराण में मिलता है, जिसमें बताया गया है कि दाह संस्कार के बाद व्यक्ति की आत्मा मोह वश अपने घर लौटना चाहती है। शवदाह के बाद श्मशान से लौटते वक्त पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। इससे आत्मा का मोहभंग होता है और उसके अंतिम सफर में परेशानी आती है।
दीपक जलाना
मान्यता है कि मृत्यु के बाद 12 दिन तक आत्मा घर में ही रहती है, इसलिए कम से कम 11 दिन तक मृत व्यक्ति के नाम एक दीप घर के बाहर दान करना चाहिए। इससे आत्मा को शांति प्राप्त होती है। मृत व्यक्ति को मोक्ष के लिए परिजनों को पिंडदान करना भी आवश्यक होता है। बिना पिंडदान के जीवात्मा को काफी कष्ट भोगने पड़ते हैं। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान मृत व्यक्ति का पिंडदान करना चाहिए।
SANTOSI TANDI
Next Story