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धर्म-अध्यात्म
मां सरस्वती की पूजा में जरूर करें हवन......जानें उनके विभिन्न नाम और वंदना
Bhumika Sahu
25 Jan 2022 6:07 AM GMT
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Basant Panchami 2022: 5 फरवरी को बसंत पंचमी के पर्व को देशभर में मनाया जाएगा. इस खास दिन पर मां खास रूप से मां सरस्वती की भक्त पूजा और अर्चना करते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म ( Hindu Dharam) में बसंत पंचमी (Basant Panchami) का एक खास महत्व होता है. हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंच पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन को सभी सनातन धर्म के अनुयायी धूमधाम से मनाते हैं और खूब पूजा-अर्चना करते हैं. आपको बता दें कि इस साल 2022 में बसंत पचंमी का त्योहार 5 फरवरी को मनाया जाएगा. बसंत पंचमी पर ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती (Maa Saraswati ) की खास रूप से पूजा-वंदना की जाती है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां अपनी कृपा भक्तों पर करती हैं. कहते हैं कि इन दिन पीले या फिर सफेद वस्त्रों को पहनना चाहिए.
बता दें कि वेदों में भी बसंत पंचमी के बारे में उल्लेख किया गया है. बसंत पंचमी को सुबह स्नान करके विधि विधान के साथ मां सरस्वती की पूजा करी जानी चाहिए. इस दिन विद्यार्थी खास रूप से मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा करते हैं ताकि मां शारदा की कृपा उन पर बनी रहे और जीवन में वह सफलता को प्राप्त करें-
जानिए मां सरस्वती के अन्य नाम (Know Maa Saraswati Names)
आपको बता दें कि मां सरस्वती के ये नाम त्रिदेवों द्वारा दिए गए हैं. उन्हें मां शारदे, मां वीणापाणि, वीणावादनी, मां बागेश्वरी, मां भगवती और मां वाग्यदेवी आदि नामों से भक्तों के द्वारा जाना जाता है. मां के साधक उद्घोष और जयकारा कर मां का आह्वान करते हैं.
5 फरवरी को बसंत पंचमी का क्या है शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि प्रारंभ- 5 फरवरी तड़के 3 बजकर 48 मिनट से शुरू
पंचमी तिथि समाप्त- 6 फरवरी तड़के 3 बजकर 46 मिनट तक
अगर आप भी बसंत पंचमी के दिन पूजा पाठ करते हैं, तो इसमें हवन को शामिल अवश्य करें. बता दें कि पूजा में आप अगर आप हवन कर रहे हैं तो सरस्वती माता के नाम से 'ओम श्री सरस्वत्यै नम: स्वहा" इस मंत्र का जाप करते हुए एक सौ आठ बार आहूती दें. इसके साथ ही संरस्वती मां के वंदना मंत्र का भी जाप करें, इससे अनन्त फल की प्राप्ति होती है.
मां सरस्वती के कुछ फल देने वाले खास मंत्र
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।। कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्। वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।। रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्। सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च ।।
पढ़िए मां सरस्वती की वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्। हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
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