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दिवाली से पहले धनतेरस मनाई जाती है। इस बार धनतेरस 22 अक्टूबर को है जबकि दिवाली 24 नवंबर है। धनतेरस के दिन हर कोई नई चीज जरूर खरीदता है। अगर इन पांच चीजों में से कोई एक आप खरीदते हैं तो आपके घर में बरकत बनी रहेगी। मान्यता है कि इन चीजों से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
दिवाली से पहले धनतेरस मनाई जाती है। इस बार धनतेरस 22 अक्टूबर को है जबकि दिवाली 24 नवंबर है। धनतेरस के दिन हर कोई नई चीज जरूर खरीदता है। अगर इन पांच चीजों में से कोई एक आप खरीदते हैं तो आपके घर में बरकत बनी रहेगी। मान्यता है कि इन चीजों से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
धनतेरस पर जरूर खरीदें ये पांच चीज
आजकल बाजारों में चांदी के सिक्कों की भरमार है। ऐसे में असली और नकली की पहचान कर पाना काफी मुश्किल होता है। बेहतर होगा कि आप किसी सरकारी बैंक से सिक्का खरीदें।
धनतेरस पर चांदी के लक्ष्मी-गणेश खरीद सकते हैं। यह संभव न हो तो मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदें। ध्यान रहे कि इनकी ऊंचाई अंगूठे जितनी होनी चाहिए। अगर इससे बड़ी मूर्ति खरीदकर घर के मंदिर में स्थापित करते हैं तो रोज उस प्रतिमा का विधि-विधान से पूजा-पाठ करना होगा। अन्यथा मूर्ति दोष लगता है। धनतेरस से दीपावली तक इन मूर्तियों की पूजा करें और बाद में इन्हें तिजोरी में रखें। नियमित धूप-दीप करें। इससे आपके धन में वृद्धि होगी।
धनतेरस के दिन धनिया बीज अवश्य खरीदें। धनिये को धन का प्रतीक माना जाता है। लक्ष्मी पूजन के समय देवी को धनिया अर्पित करने के बाद अपने बगीचे में कुछ बीज बो दें और कुछ को कौड़ी और गोमती चक्र के साथ तिजोरी में रखें।
धनतेरस के दिन अपने घर की लक्ष्मी यानी अपनी पत्नी को उपहार में सोने-चांदी के गहने देने के अलावा लाल वस्त्र और सुहाग का सामान भी भेंट कर सकते हैं। यह शुभ और मंगलकारी माना जाता है।
धनतेरस के दिन झाडू खरीदने से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है। अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान है तो इस धनतेरस झाड़ू को जरूर खरीदे और उससे जुड़ी इन मान्यताओं का भी रखें ध्यान।
अभी पढ़ें – दिवाली पर ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा, धन की कभी नहीं होगी कमी
धनतेरस के दिन पांच देवताओं, गणेश जी, मां लक्ष्मी, ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा की जाती है। मान्यता के मुताबिक भगवान धन्वंतरी का जन्म त्रयोदशी के दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वंतरी का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। धन्वंतरी जब प्रकट हुए थे, तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था।
धनतेरस पूजा मंत्र (Dhanteras Puja Mantra)
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि।
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