- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- नवरात्रि के आठवें दिन...
धर्म-अध्यात्म
नवरात्रि के आठवें दिन मां महगौरी की होती है पूजा...जानें आरती और कथा
Subhi
20 April 2021 1:00 AM GMT
x
नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां महगौरी, मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है।
नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां महगौरी, मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है। महागौरी हीं शक्ति मानी गई हैं। पुराणों के अनुसार, इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार, शुंभ निशुंभ से पराजित होने के बाद देवताओं ने गंगा नदी के तट पर देवी महागौरी से ही अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की थी। मां के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है। माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है।
महागौरी की पूजा विधि:
इस दिन सुबह उठ जाएं और स्नानादि कर साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी लें और उस पर प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें फूल चढ़ाएं और मां का ध्यान करें। फिर मां के समक्ष दीप जलाएं। फिर मां को फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें। मां की आरती करें और मंत्रों का जाप करें। इस दिन कन्या पूजन किया जाता है। इस दिन नौ कन्याओं और एक बालक को पूजा जाता है। इन्हें घर बुलाकर खाना खिलाया जाता है। कन्याओं और बालक अपनी सामर्थ्यनुसार भेंट देनी चाहिए। फिर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें विदा कर दें।
महागौरी की भोग विधि:
इस दिन मां को नारियल चढ़ाया जाता है। इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है।
महागौरी की कथा:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां पार्वती ने शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अपने पूर्व जन्म में कठोर तपस्या की थी तथा शिव जी को पति स्वरूप प्राप्त किया था। शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए मां ने जब कठोर तपस्या की थी तब मां गौरी का शरीर धूल मिट्टी से ढंककर मलिन यानि काला हो गया था। इसके बाद शंकर जी ने गंगाजल से मां का शरीर धोया था। तब गौरी जी का शरीर गौर व दैदीप्यमान हो गया। तब ये देवी महागौरी के नाम से विख्यात हुईं।
मां महागौरी के मंत्र:
ध्यान मंत्र:
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
स्तोत्र पाठ:
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
महागौरी की आरती:
जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता ॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥
सती 'सत' हवं कुंड मै था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥
'चमन' बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥
Subhi
Next Story