धर्म-अध्यात्म

पारिजात के पौधे में माता लक्ष्मी का निवास, परिवार से कलह हो जाती है दूर

Tulsi Rao
15 Jan 2022 4:24 PM GMT
पारिजात के पौधे में माता लक्ष्मी का निवास, परिवार से कलह हो जाती है दूर
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अगर घर में तुलसी का पौधा न हो तो आप पारिजात (Parijat) यानी हरसिंगार (Harshrangar) का पौधा भी लगा सकते हैं. इसे लगाने से भी आपको तुलसी के बराबर पुण्य मिलता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। धर्म शास्त्रों में तुलसी के पौधे का काफी महत्व माना गया है. मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा लगा हो तो वहां पर माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) और भगवान विष्णु निवास करते हैं. अगर घर में तुलसी का पौधा न हो तो आप पारिजात (Parijat) यानी हरसिंगार (Harshrangar) का पौधा भी लगा सकते हैं. इसे लगाने से भी आपको तुलसी के बराबर पुण्य मिलता है.

पारिजात के पौधे में माता लक्ष्मी का निवास
धार्मिक मान्यता है कि पारिजात के पौधे (Parijat) में साक्षात माता लक्ष्मी का निवास होता है. घर के आंगन में यह पौधा लगाने से मकान का वास्तु दोष दूर (Vastu Tips) होता है और परिवार में सुख समृद्धि आती है. इससे नकारात्मक शक्तियां घर से दूर रहती हैं और परिवार के सदस्यों में एकता बढ़ती है.
परिवार में कलह हो जाती है दूर
ज्योतिष के मुताबिक घर में पारिजात का पौधा (Parijat) लगाने से परिवार में होने वाली कलह खत्म हो जाती है. इससे रोग दूर भागते हैं और परिवार के सदस्यों की उम्र लंबी होती है. इससे मानसिक तनाव दूर होता है और घर की आर्थिक स्थिति भी सुधर जाती है.
खुशबू से महक उठता है घर
पारिजात के पौधे (Parijat) में सफेद रंग का फूल उगता है, जिसकी खुशबू से पूरा घर महक उठता है. कहा जाता है कि माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) को यह फूल बेहद प्रिय होता है. इसलिए पारिजात के फूल को घर के मंदिर में माता लक्ष्मी के चित्र पर चढ़ाना चाहिए. इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं और श्रद्धालुओं को मुंहमांगा वरदान देती हैं.
समुद्र मंथन से हुई पौधे की उत्पत्ति
कहा जाता है कि पारिजात के पौधे (Parijat) की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी. इसके बाद इंद्र देवता ने इस चमत्कारी पौधे को बाद में स्वर्ग वाटिका में लगा दिया. पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान कृष्ण ने ये पौधे अपनी पत्नी रुक्मिणी को भेंट दिया था, जिसके चलते उन्हें चिरयौवन प्राप्त हुआ. इसी पौधे के चलते इंद्र और श्रीकृष्ण में युद्ध भी हुआ था, जिसके बाद इंद्र के शाप से इस पौधे पर कभी फल नहीं आए. हालांकि इसमें फूल लगते रहे


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