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धर्म-अध्यात्म
मां शक्ति देती हैं करवाचौथ पर सुहागिनों को सरगी, कल रखा जाएगा निर्जला व्रत
Renuka Sahu
23 Oct 2021 3:11 AM GMT
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फाइल फोटो
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं करवाचौथ का व्रत करती हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं करवाचौथ का व्रत करती हैं। निर्जला उपवास रख कर पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है। इस वर्ष करवाचौथ का त्योहार 24 अक्तूबर रविवार को मनाया जाएगा। धनबाद में यह त्योहार मुख्यत: मारवाड़ी और पंजाबी समुदाय के लोग ही मनाते हैं। हालांकि आजकल सभी वर्ग के लोगों के बीच करवाचौथ का त्योहार प्रचलित हो चुका है। दिनभर निर्जला उपवास रात में चांद निकलने के बाद समाप्त होता है।
करवाचौथ के त्योहार में सरगी का भी काफी महत्व है। सरगी दरअसल करवाचौथ की ही एक परंपरा है, जो निर्जला व्रत प्रारंभ करने से पूर्व की जाती है। परंपरा के अनुसार सास अपनी बहू को थाल में सजा कर सरगी की सामग्री देती हैं, जिसमें पूजन सामग्री होती है।
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परंपरा के अनुसार सास द्वारा सरगी की सामग्री देने का विधान है, लेकिन जिनकी सास नहीं है, उन्हें यहां मां दुर्गा की ओर से सरगी दी जाती है। दरअसल शक्ति मंदिर में सुहागिनों को प्रत्येक वर्ष सरगी दी जाती है। मंदिर कमेटी के सुरेंद्र अरोड़ा बताते हैं कि सरगी की थाल में माता की चुनरी, नारियल, मेहंदी, बिंदी सहित सुहाग की अन्य सामग्री व फल-फूल दिए जाते हैं। इस वर्ष करवाचौथ से पूर्व 23 अक्तूबर को दिन के 11 बजे से मंदिर परिसर में ही सरगी की थाल वितरीत की जाएगी। बताया कि इसके लिए सुहागिन पहले से ही कूपन कटवा रही हैं। 351 व्रतियों को ही माता पर चढ़ायी गई सरगी दी जाएगी। कल 23 अक्तूबर शनिवार को रसीद लेकर आने पर उन्हें सरगी की थाली भेंट की जाएगी। सुरेंद्र अरोड़ा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष मंदिर परिसर में ही कई सुहागिन करवाचौथ का व्रत करती थीं। यहां कथा व सभी परंपरा का निर्वहन कराया जाता था, लेकिन इस कोरोना काल होने के कारण मंदिर कमेटी ने यह आयोजन इस वर्ष भी नहीं कराने का निर्णय लिया है।
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