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हिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है
हिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस प्रकार पौष माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 1 जनवरी को है। इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा उपासना करने का विधान है। इस दिन मंदिरों एवं मठों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। साथ ही शिव मंदिर और घर पर शिव चर्चा की जाती है। ज्योतिषों की मानें तो अविवाहित जातकों को मासिक शिवरात्रि का व्रत जरूर करना चाहिए। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती की शीघ्र शादी हो जाती है। वहीं, विवाहित महिलाओं को व्रत के पुण्य-प्रताप से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शिवजी की पूजा करने से चंद्रमा भी मजबूत होता है। इससे जातक को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। आइए, व्रत के बारे में विस्तार से जानते हैं-
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस दिन नववर्ष की शुरुआत हो रही है। अतः इस दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से पहले उठकर सर्वप्रथम भगवान शिव एवं माता पार्वती को स्मरण और प्रणाम करें। इसके बाद दिन की शुरुआत करें। अब सर्वप्रथम घर की साफ-सफाई कर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। तत्पश्चात, भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा दूध, दही, पंचामृत, फल, फूल, धूप, दीप, भांग, धतूरा और बिल्व पत्र से करें। पूजा के समय महामृत्युंजय मंत्र और ॐ नमः शिवाय मंत्रों का एक माला जाप जरूर करें। इसके बाद आरती-अर्चना कर अपनी मनोकामना भगवान शिव से जरूर कहें। अपना क्षमता अनुसार, दिनभर उपवास रखें। व्रती चाहे तो दिन में एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकता है। शाम में आरती-अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें। इसके बाद जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान कर भोजन ग्रहण करें। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
TagsShiva worship
Ritisha Jaiswal
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