धर्म-अध्यात्म

मासिक शिवरात्रि व्रत एवं पूजा आज ही है,जानें शिवरात्रि व्रत एवं पूजा विधि के बारे में

Kajal Dubey
30 March 2022 1:37 AM GMT
मासिक शिवरात्रि व्रत एवं पूजा आज ही है,जानें शिवरात्रि व्रत एवं पूजा विधि के बारे में
x
शिवरात्रि पूजा के लिए सुबह से ही भक्त मंदिरों में पहुंचने लगते हैं. आज दोपहर तक शुभ योग और उसके बाद से शुक्ल योग है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र माह की मासिक शिवरात्रि आज 30 मार्च दिन बुधवार को है. आज दोपहर 01:19 बजे से चैत्र कृष्ण चतुर्दशी तिथि प्रारंभ हो रही है, जो कल दोपहर 12:22 बजे तक रहेगी. शिवरात्रि की पूजा में रात्रि प्रहर की पूजा का मुहूर्त लिया जाता है, जो चतुर्दशी तिथि में हो. अब शिवरात्रि पूजा का रात्रि मुहूर्त चतुर्दशी तिथि में आज ही प्राप्त हो रही है, इसलिए मासिक शिवरात्रि व्रत एवं पूजा आज ही है. आज दोपहर तक शुभ योग और उसके बाद से शुक्ल योग है. शिवरात्रि पूजा के लिए सुबह से ही भक्त मंदिरों में पहुंचने लगते हैं. ऐसे में मासिक शिवरात्रि की रात्रि प्रहर की पूजा का शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri 2022 Puja Muhurat) देर रात 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है. आइए जानते हैं चैत्र मासिक ​शिवरात्रि व्रत, पूजा विधि एवं मंत्र के बारे में.

चैत्र मासिक शिवरात्रि व्रत एवं पूजा विधि
1. मासिक शिवरात्रि व्रत वाले दिन प्रात: स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें. उसके बाद पूजा घर की साफ सफाई कर लें. शिवलिंग हो, तो उसे भी साफ कर लें.
2. अब आपको तय करना है कि सुबह में पूजा करनी है या रात्रि प्रहर में. शुभ मुहूर्त में शिव मंदिर में या घर पर ​शिवलिंग या शिव जी की तस्वीर की पूजा करें.
3. शिव जी का जलाभिषेक करें. फिर उनको चंदन, अक्षत्, बेलपत्र, भांग, मदार पुष्प, धतूरा, शमी के पत्ते, शक्कर, शहद, गंगाजल, गाय का दूध, फल, मिठाई, धूप, दीप, गंध आ​दि से सुशोभित करें. इस दौरान ​शिव पंचाक्षर मंत्र ओम नम: शिवाय का उच्चारण करते रहें.
4. अब गणेश जी, माता गौरी, भगवान कार्तिकेय और नंदी की पूजा करें. फिर शिव चालीसा और शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करें. किसी मंत्र विशेष का जाप करना चाहते हैं, तो रुद्राक्ष की माला से शुद्ध उच्चारण के साथ कम से कम 108 बार करें.
5. पूजा के अंत में शिव जी की आरती करें. इसके लिए घी के दीपक या फिर कपूर का उपयोग करें. आरती के समय शंख और घंटी बजाते रहें. आरती के दीपक को पूरे घर में ले जाएं. ऐसा करने से नकारात्मकता दूर होती है.
6. आरती के बाद प्रसाद वितरण करें और स्वयं भी ग्रहण करें. रात्रि के समय में भगवत जागरण करें. फिर अगले दिन प्रात: स्नान के बाद शिव पूजा करें. शिव जी के समक्ष अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें. सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें.


Next Story