धर्म-अध्यात्म

मोक्षदा एकादशी व्रत: मोक्ष प्राप्ति के लिए पितरों को नरक से मिलती है मुक्ति

Deepa Sahu
22 Dec 2020 2:19 PM GMT
मोक्षदा एकादशी व्रत: मोक्ष प्राप्ति के लिए पितरों को नरक से मिलती है मुक्ति
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मोक्षदा एकादशी व्रत: मोक्ष प्राप्ति के लिए पितरों को नरक से मिलती है मुक्ति

25 दिसंबर को साल 2020 की अंतिम एकादशी, मोक्षदा एकादशी मनाई जाएगी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : 25 दिसंबर को साल 2020 की अंतिम एकादशी, मोक्षदा एकादशी मनाई जाएगी। मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने से प्राणी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है एवं नरक में गए पितरों को इस व्रत के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन पाण्डु पुत्र अर्जुन को मनुष्य का जीवन सार्थक बनाने वाली गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस तिथि को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है।

इसलिए खास होती है एकादशी

सनातन धर्म में प्रत्येक महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत, स्नान, दान आदि के लिये बहुत शुभ फलदायी माना गया है। एकादशी व्रत को करने से जगत के पालनहार भगवान विष्णु की असीम कृपा मिलती है।मोक्षदा एकादशी बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली है। एकादशी तिथि का उपवास बुद्धिमान, शांति प्रदाता व संततिदायक है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्त्व है। इस व्रत को करने से प्राणी के जन्म-जन्मांतर के पाप क्षीण हो जाते हैं तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
भगवान दामोदर का करें पूजन
श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को मोक्षदा एकादशी का महत्व समझाते हुए कहा है कि इस एकादशी की कथा के श्रवण मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। यह एकादशी सभी पापों का हरण करके पुण्य प्रदान करने वाली है। इस दिन तुलसी की मंजरी तथा पीला चन्दन, रोली, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतु फल एवं धूप-दीप, नैवैद्य आदि से भगवान दामोदर का भक्ति पूर्वक पूजन करना चाहिए। रात्रि में विष्णु भगवान की प्रसन्नता के लिए भजन-कीर्तन और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए। मोक्ष देने वाली यह एकादशी मनुष्यों के लिए चिंतामणि के समान समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली है। इस दिन भगवतगीता का पाठ करने से व्यक्ति के सब दुःख दूर होते है। गीता पाठ करने से निश्चय ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी की कथा
पूर्व काल में चंपक नगर के राजा वैखानस ने एक रात सपने में अपने पितरों को नीच योनियों में पड़ा देखा, जो उनसे उन्हें नरक से मुक्ति दिलाने को कह रहे थे। तब राजा पर्वत मुनि के आश्रम में जाकर उनसे मिले और मुनि की आज्ञा से अपने पितरों की मुक्ति के उद्देश्य से मोक्षदा एकादशी का विधि-विधान से व्रत किया एवं व्रत का पुण्य अपने पितरों को प्रदान किया। पुण्य देते ही क्षण भर में आकाश से फूलों की बर्षा होने लगी । वैखानस के पिता पितरों सहित नरक से छुटकारा पा गए और आकाश में आकर राजा को आशीर्वाद दिया। इस एकादशी की कथा पढ़ने-सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।


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