धर्म-अध्यात्म

Mokshada Ekadashi 2021: मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का करें जाप

Tulsi Rao
13 Dec 2021 7:37 AM GMT
Mokshada Ekadashi 2021: मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का करें जाप
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मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2021) जैसा की इसके नाम से ही पता लग रहा है मोक्ष देने वाली एकादशी. कहते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Mokshada Ekadashi 2021 Mantra: मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2021) जैसा की इसके नाम से ही पता लग रहा है मोक्ष देने वाली एकादशी. कहते हैं मोक्षदा एकादशी के दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने और व्रत आदि करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, कहते हैं कि मोक्षदा एकादशी का व्रत (Mokshada Ekadashi Vrat 2021) रखने से पितरों को भी बैकुंठ की प्राप्ति होती है. इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर के दिन पड़ रही है.

मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप (Bhagwan Vishnu Mnatra Jaap) करने से भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. हर मंत्र का एक उद्देश्य होता है, उसके जाप से उसकी सिद्धी होती है. कहते हैं कि भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप तुलसी की माला से करने की सलाह दी जाती है. तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है. मंत्र जाप करते समय तन, मन और शब्दों का सही उच्चारण भी जरूरी होता है. आइए जानते हैं विष्णु जी के मंत्रों के बारे में.
विष्णु मंत्र Vishnu Mantra
1. धन और समृद्धि के लिए
ओम भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ओम भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
2. विष्णु गायत्री मंत्र: सुख और शांति के लिए
ऊं नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
3. श्री विष्णु भगवते वासुदेवाय मंत्र
ओम नमोः भगवते वासुदेवाय॥
4. विष्णु कृष्ण अवतार मंत्र:
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
5. विष्णु रूपं पूजन मंत्र
शांताकारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम्।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम्।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम्।
6. मंगल श्री विष्णु मंत्र
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरीकाक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥


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