धर्म-अध्यात्म

मोहिनी एकादशी आज, पढ़ें यह व्रत क​था

Renuka Sahu
12 May 2022 1:24 AM GMT
Mohini Ekadashi today, read the story of this fast
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फाइल फोटो 

मोहिनी एकादशी व्रत आज 12 मई दिन गुरुवार को है. वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी व्रत रखते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) व्रत आज 12 मई दिन गुरुवार को है. वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी व्रत रखते हैं. मोहिनी एकादशी व्रत रखने से सभी प्रकार के पाप और दुख नष्ट हो जाते हैं. प्रभु श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ से एक ऐसे व्रत के बारे में बताने को कहा था कि उसके रखने से सभी प्रकार के पाप एवं दुख दूर हो जाएं. तब गुरुदेव ने उनको मोहिनी एकादशी व्रत के बारे में बताया था. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं मोहिनी एकादशी व्रत कथा के बारे में.

मोहिनी एकादशी व्रत कथा
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से मोहिनी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताने को कहा. तब भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि मोहिनी एकादशी व्रत वैशाख शुक्ल एकादशी व्रत को कहते हैं. इसकी कथा इस प्रकार है.
एक समय की बात है. सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नगर था, जिसका राजा द्युतिमान था, जो एक चंद्रवंशी राजा था. उसके राज्य में धनपाल वैश्य भी था, जो बड़ा ही धनवान एवं पुण्यवान था. वह ए​​क विष्णु भक्त था. उसने नगर में कई स्थान पर भोजनालय, धर्मशाला आदि का निर्माण कराया था. उसने काफी पेड़ भी लगाएं थे. उसके पांच बेटे थे, जिसमें सबसे छोटा बेटा धृष्टबुद्धि महापापी था.
वह बुरे कर्मों में लिप्त रहता था. पितरों का अनादर करता था. भोग विलास एवं मांस मदिरा में धन बर्बाद करता था. इस वजह से धनपाल ने उसे घर से निकाल दिया. कुछ दिनों तक उसने अपने वस्त्र और गहनों को बेचकर जीवनयापन किया. जब किसी की मदद न मिली, तो उसने चोरी करनी शुरु कर दी.
चोरी करने के कारण उसे जेल में डाल दिया गया. वहां पर उसे कई प्रकार की यातनाएं दी गईं और बाद में राजा ने उसे नगर से बाहर निकाल दिया. वह भोजन एवं पानी की तलाश में भटकते हुए एक दिन कौडिन्य ऋषि के आश्रम में पहुंचा.
उस समय वैशाख माह था, मुनिवर गंगा स्नान से लौट रहे थे, तो गंगा की कुछ पवित्र बूंदें धृष्टबुद्धि पर भी पड़ीं. उस कुछ बुद्धि आई. उसने कौडिन्य ऋषि से प्रार्थना करते हुए बोला कि उसने बहुत ही पाप कर्म किए हैं. आप बिना धन खर्च किए इस पाप और दुख से मुक्ति का मार्ग बताएं.
इस पर मुनिवर ने उसे मोहिनी एकादशी व्रत के बारे में बताया. यह जानकर वह बहुत खुश हुआ. वैशाख शुक्ल एकादशी को उसने विधिपूर्वक मोहिनी एकादशी व्रत किया और भगवान विष्णु की पूजा की. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से उसके सभी पाप एवं दुख दूर हो गए. वह गरुड़ पर सवार होकर विष्णु लोक चला गया.
मोहिनी एकादशी व्रत रखने से सभी प्रकार के मोह भी दूर हो जाते हैं. मोहिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करने या श्रवण करने से 1000 गायों के दान करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है.
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