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धर्म-अध्यात्म
5 नदियों का मिलन, पंचनद से जानी जाती है ये पवित्र भूमि
Manish Sahu
20 July 2023 4:37 PM GMT

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धर्म अध्यात्म: नदियों से हमारी कई जरुरतें पूरी होती हैं. ज्यादातर मानव सभ्यताओं का विकास भी नदियों के किनारे ही हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि नदी अपना रास्ता खुद बनाती चलती है और जो भी चीज इसके रास्ते में आती है, ये उसे अपने साथ ले लेती है. बहुत सी जगह ऐसी हैं, जहां दो या उससे अधिक नदियां आकर एक-दुसरे में मिलती हैं. आज हम आपको दुनिया की उस इकलौती जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां एक, दो या तीन नहीं, बल्कि पांच नदियां आपस में मिलती हैं.
देश में कुछ ऐसी जगहें हैं जहां नदियों का संगम होता है. प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है. प्रयागराज को तीर्थराज भी कहा जाता है, क्योंकि यह श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. हालांकि, क्या आपको पता है कि देश में एक ऐसा स्थान भी है जहां पांच नदियों का संगम होता है. इस स्थान को पंचनद के नाम से जाना जाता है, जो जालौन, औरैया और इटावा की सीमा पर स्थित है. यह स्थान प्रकृति का अनोखा उपहार है, क्योंकि इस प्रकार का संगम बहुत ही कम देखने को मिलता है.
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इन नदियों का होता है मिलन
देश में यह ऐसा स्थान है, जहां पांच नदियों का संगम होता है. पंचनद में यमुना, चंबल, सिंध, कुंवारी और पहज नदियों का मिलन होता है. पंचनद को महा तीर्थराज के नाम से भी जाना जाता है और हर साल यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. शाम होते ही इस जगह का नजारा काफी सुंदर हो जाता है. इसके अलावा, पंचनद के बारे में कई प्रसिद्ध कहानियां हैं, यह कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव भ्रमण के दौरान पंचनद के पास ही रुके थे. भीम ने इसी स्थान पर बकासुर का वध किया था.
स्थानीय लोगों की है ऐसी मान्यता
इसके अलावा एक और प्रसिद्ध कहानी इस स्थान से जुड़ी है. यहां के लोग मानते हैं कि यहां के महर्षि मुचकुंद की यशस्वी कथा सुनकर एक बार तुलसीदास जी ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया. तुलसीदास जी ने पंचनद की ओर अपनी पदयात्रा शुरू की और पानी पीने के लिए आवाज बुलंद की. इस पर महर्षि मुचकुंद ने अपने कमंडल से जो जल छोड़ा, वह कभी खत्म नहीं हुआ और तुलसीदास जी को ऋषि मुचकुंद के महत्त्व को स्वीकार करना पड़ा और उनके सामने नतमस्तक हो जाना पड़ा.

Manish Sahu
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