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- मन के मौन में आनंद का...
माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस तिथि को स्नान और दान का बड़ा महत्व माना गया है। मौनी अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा एवं मौन व्रत का विधान है।मौन को सिद्धि का आधार बताया गया है। सिर्फ वाणी का ही नहीं, बल्कि मन का चुप हो जाना मौन है। हमारे मन के भीतर चलने वाली हलचल जब थम जाती है, तभी हम मौन की अवस्था को प्राप्त करते हैं। इस मौन में ही आनंद है। जब हम मुखर होते हैं, तब हमारा संपर्क दूसरों से होता है, लेकिन जब हम मौन होते हैं तो हमारा संपर्क स्वयं से होता है। हमारे भीतर की जो क्षमताएं हैं, वे मौन में प्रकट होती हैं। मौन होने का अर्थ है इच्छाओं से मुक्त हो जाना। ध्यान के लिए मौन चाहिए। हम प्रकृति को निहारें। सूरज, चंद्रमा और नक्षत्र मौन है। आकाश, धरती, पर्वत, वृक्ष भी मौन है। प्रकृति के इस मौन से तादात्म्य स्थापित करें और जीवन में सुख का आह्वान करें।