धर्म-अध्यात्म

Margashirsha Purnima 2021: कब है साल का आखिरी पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त विधि और महत्व

Tulsi Rao
15 Dec 2021 12:02 PM GMT
Margashirsha Purnima 2021: कब है साल का आखिरी पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त विधि और महत्व
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन पूजा करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है. इसका विशेष महत्व है. विधि से की गई पूजा निश्चित रूप से आपके लिए फलदायी होगी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में पूर्णिमा (Purnima) का बड़ा महत्व है. पूर्णिमा का दिन हर महीने में एक बार आता है और पूरे साल में पूर्णिमा के 12 दिन होते हैं और इनमें से प्रत्येक दिन का एक अलग महत्व होता है. इन सभी दिनों में मार्गशीर्ष मास (Margashirsha Purnima 2021) का विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में आपको भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए.

वैसे तो पूरा महीना काफी महत्वपूर्ण होता है लेकिन पूर्णिमा को विशेष महत्व दिया गया है. चंद्र दर्शन अर्थात चंद्रमा को देखने का भी इस दिन बहुत महत्व है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन कुछ लोग भगवान सत्यनारायण की कथा भी सुनते हैं और इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. आइए जानें दिसंबर के महीने में कब पड़ेगी पूर्णिमा तिथि और क्या है इसका महत्व.
मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहते हैं.
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 18 दिसंबर, शनिवार सुबह 07:24 बजे से होगी
पूर्णिमा तिथि 19 दिसंबर रविवार को सुबह 10.05 बजे तक समाप्त होगी.
ऐसे में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 18 दिसंबर 2021 को मनाई जाएगी.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ योग
इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शुभ योग बन रहे हैं. 18 दिसंबर को संध्या योग सुबह 09.13 बजे तक है, इसके बाद शुभ योग शुरू होगा.
इसके बाद पूर्णिमा तिथि तक शुभ योग रहेगा. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन यानी 18 दिसंबर को चंद्रमा शाम 04:46 बजे उदय होगा.
मार्गशीर्ष मास में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व
पुराणों के अनुसार मार्गशीर्ष मास में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. इस दिन पवित्र जल में स्नान करना शुभ माना जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन अगर आप दान-पुण्य करते हैं तो आपको उसका फल अवश्य मिलता है. साथ ही भगवान सत्यनारायण की पूजा करना और कथा सुनना शुभ माना जाता है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से भी शुभ फल मिलते हैं और सभी पापों से मुक्ति मिलती है. ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना चाहिए.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर कैसे करें पूजा?
इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर साफ कपड़े पहन लें. इस दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें. विष्णु जी को पीले फूल अर्पित करें और पीले वस्त्र पहनकर उनकी पूजा करें. परिवार के सभी सदस्यों को सत्यनारायण की कहानी एक साथ पढ़नी चाहिए. दही का पंचामृत बना लें और पंजीरी चढ़ाएं. प्रसाद को सभी लोगों में बांटें और खुद भी खाएं.


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