धर्म-अध्यात्म

सावन के पहले सोमवार में एक साथ बन रहे हैं कई विशिष्ट योग

Subhi
17 July 2022 5:58 AM GMT
सावन के पहले सोमवार में एक साथ बन रहे हैं कई विशिष्ट योग
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भगवान शिव के प्रिय मास सावन माह की शुरुआत 14 जुलाई, गुरुवार से हो गई थी। वहीं 18 जुलाई को पहला सोमवार पड़ा है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से हर एक मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

भगवान शिव के प्रिय मास सावन माह की शुरुआत 14 जुलाई, गुरुवार से हो गई थी। वहीं 18 जुलाई को पहला सोमवार पड़ा है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से हर एक मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होत है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सावन सोमवार पूरे 4 पड़ रहे हैं। जिसमें आज पहला सावन सोमवार है। बाबा भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए भक्त सावन में सोमवार का व्रत रखते हैं। सावन के पहले सोमवार में काफी विशिष्ट योग बन रहे हैं। जानिए सावन सोमवार का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

सावन के पहले सोमवार पर बन रहे हैं खास योग

सावन के पहले सोमवार पर कई विशिष्ट योग बन रहे हैं। इसमें रवि योग दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 19 जुलाई को सुबह 5 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही इस दिन शोभन योग 17 जुलाई शाम 5 बजकर 49 मिनट से 18 जुलाई को 3 बजकर 26 मिनट तक रहेगा और पहले सावन सोमवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेंगे। ऐसे शुभ योग में भगवान शिव की पूजा करना फलदायी होगा।

सावन सोमवार को ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

शास्त्रों के अनुसार, सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है।

सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने के साथ कथा सुनी जाती है।

सावन सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान कर लें।

साफ सूथरे वस्त्र धारण कर लें।

अब पूरे घर में गंगा जल छुड़ दें।

घर में ही किसी पवित्र स्थान या पूजा घर मेंर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें सबसे पहले इस मंत्र को बोले- 'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये'

इसके बाद इस मंत्र से ध्यान करें-

'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌

पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌॥

ॐ नमः शिवाय' से शिवजी का तथा 'ॐ शिवायै' नमः बोलते हुए पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।


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