धर्म-अध्यात्म

गुरु पूर्णिमा पर बन रहे एक साथ कई राजयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

Subhi
6 July 2022 5:14 AM GMT
गुरु पूर्णिमा पर बन रहे एक साथ कई राजयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर पर जुलाई-अगस्त के महीने में पड़ता है। इस साल गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई 2022, बुधवार को पड़ रही है।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर पर जुलाई-अगस्त के महीने में पड़ता है। इस साल गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई 2022, बुधवार को पड़ रही है। गुरु पूर्णिमा के दिन 'गुरु' या शिक्षक के महत्व को जानने के रूप में मनाया जाता है। इसी कारण इणसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। शिवपुराण के अनुसार 18वें द्वापर में आज के दिन ही भगवान विष्णु के अंशावतार वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। वेदव्यास जी ने महाभारत सहित अट्ठारह पुराणों और ग्रन्थों की भी रचना की थी। इस ग्रथों में से श्रीमदभागवतमहापुराण सबसे बड़ा ग्रंथ माना जाता है। जानिए गुरु पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

गुरु पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त

गुरु पूर्णिमा तिथि- 13 जुलाई 2022, बुधवार

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा प्रारंभ - 13 जुलाई सुबह 04 बजकर 1 मिनट से शुरू

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा समाप्त- 14 जुलाई आधी रात 12 बजकर 07 मिनट से

गुरु पूर्णिमा पर रहे खास योग

ज्योतिष गणना के अनुसार, गुरु पूर्णिमा के दिन कुछ राज योग बन रहे हैं। इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन मंगल, बुध, गुरु और शनि स्थिति में है। इसके साथ ही पूर्णिमा पर रुचक, भद्र, हंस और शश नामक राजयोग बन रहे हैं। ये योग काफी अच्छे माने जाते हैं।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु की पूजा के लिए समर्पित है जो व्यक्ति के जीवन में मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में कार्य करते हैं। गुरु ही है जो व्यक्ति को जीवन और मृत्यु के दुष्चक्र से पार करता है और शाश्वत 'आत्मा' या अंतरात्मा की वास्तविकता का एहसास करने में मदद करता है।

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के साथ दान काफी अधिक महत्व है। इसके साथ ही मंत्रों के साथ अपने गुरुजनों की भी पूजा करनी चाहिए। क्योंकि गुरु ही ज्ञान के मार्ग से अंधकार को दूर करने में मदद करता है। आज के दिन केवल गुरु ही नहीं बल्कि अपने सभी बड़े सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए और उनको गुरु के समान समझकर आदर करना चाहिए।


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