धर्म-अध्यात्म

कुंडली में सूर्य से जुड़े दोष को दूर करने मंत्र, बरसने लगेगी कृपा और चमक उठेगा भाग्य, जाने

Bhumika Sahu
1 Aug 2021 1:44 AM GMT
कुंडली में सूर्य से जुड़े दोष को दूर करने मंत्र, बरसने लगेगी कृपा और चमक उठेगा भाग्य, जाने
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यदि लाख कोशिशों के बावजूद पिता और उच्च अधिकारियों के साथ पटरी न खाए तो आप मान कर चलें कि आपकी कुंडली में सूर्य से जुड़ा दोष है, जिसे दूर करने के लिए रविवार के दिन जरूर जपें यह महामंत्र —

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष शास्त्र में सूर्यदेव को सभी ग्रहों का राजा माना गया है. मान्यता है कि यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्यदेव शुभ फल प्रदान करें तो उसका समाज में खूब यश, सम्मान बढ़ता है. उसे पिता का हमेशा आशीर्वाद प्राप्त रहता है. जबकि सूर्य के कमजोर होने पर उसके भीतर आत्मबल की कमी रहती है. जातक को नेत्र से जुड़े तमाम तरह के कष्ट होते हैं. कार्यक्षेत्र में उसे उच्च अधिकारियों से सहयोग नहीं मिलता है. साथ ही पिता के साथ उसके संबंध आये दिन खराब रहते हैं. यदि आपकी कुंडली में यदि सूर्यदेव शुभ फल नहीं दे रहे हैं तो आप न सिर्फ रविवार जो कि सूर्यदेव का दिन है, बल्कि प्रतिदिन स्नान के बाद भगवान सूर्य को अघ्र्य देने के साथ नीचे दिये गये मंत्रों का जप, पाठ आदि करके उनकी कृपा पा सकते हैं.

सूर्य गायत्री मंत्र
"ॐ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात् ।।"
सूर्य का प्रार्थना मंत्र –
ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:।
विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।
इस मंत्र का जाप करने सूर्य देवता शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से सभी मनोरथ पूरे होते हैं.
इस मंत्र से करें सूर्यदेव की वंदना
नमो नमस्तेस्तु सदा विभावसो, सर्वात्मने सप्तहयाय भानवे।
अनंतशक्तिर्मणि भूषणेन, वदस्व भक्तिं मम मुक्तिमव्ययाम्।।
सूर्य का तंत्रोक्त मंत्र –
"ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।
जप संख्या –
7,000 जाप
कुंडली में सूर्य से जुड़े दोष को दूर करने मंत्र –
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयम् महाद्युतिम्।
तमोरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरम्।।
ग्रहणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:।
विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु में रवि:।।
सूर्य देव की पूजा के लिए प्रात:काल पढ़ें ये चौपाई –
सर्यदेव! मैं सुमिरौ तोही। सुमिरत ज्ञान–बुद्धि दे मोही।।
तुम आदित परमेश्वर स्वामी। अलख निरंजन अंतरजामी।।
ज्योति–प्रताप तिहूं पुर राजै। रूप मनोहर कुंडल भ्राजै।।
नील वर्ण छबि तुम असवारी। ज्ञान निधान धरम व्रतधारी।।
एक रूप राजत तिहुं लोका। सुमिरत नाम मिटै सब सोका।।
नमस्कार करि जो नर ध्यावहिं। सुख–संपति नानाबिधि पावहिं।।
दोहा– ध्यान करत ही मिटत तम उर अति होत प्रकास।।
जै आदित सर्वस्व सिव देहु भक्ति सुखरास।।
यदि आप चाहें तो सूर्य भगवान की कृपा पाने के लिए इस चौपाई और मंत्रों के साथ श्रीसूर्यस्तवराज: और सूर्यार्यास्तोत्रम् का पाठ भी कर सकते हैं.



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