धर्म-अध्यात्म

मंथरा ने कैकेयी से कहा, तुम्हें तो अपने बेटे की कोई चिंता नहीं, जानें पूरी कहानी

Tulsi Rao
16 Jun 2022 5:00 AM GMT
मंथरा ने कैकेयी से कहा, तुम्हें तो अपने बेटे की कोई चिंता नहीं, जानें पूरी कहानी
x

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Ramayan Story of Maid Servant of Queen Kaikai: वशिष्ठ मुनि की सहमति पाते ही अयोध्या के महाराजा दशरथ ने श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारियां शुरु करा दीं, जैसे ही यह जानकारी देवताओं को लगी, उन्होंने भविष्य की योजनाओं को देखते हुए इस काम में रुकावट डालने के लिए सरस्वती जी को बहुत मुश्किल से तैयार किया और उन्होंने भरत जी की माता महारानी कैकेयी की दासी मंथरा की बुद्धि पर अपना प्रभाव डाला और वह लंबी लंबी सांस भरते हुए कैकेयी के सामने उपस्थित हुई. महारानी के पूछने पर भी उसने कोई जवाब नहीं दिया. तो महारानी ने कहा तू तो खूब बढ़-चढ़ कर बोलने वाली है, क्या लक्ष्मण ने तुझे कोई सजा दी है, फिर उन्होंने अपनी तरफ से ही पूछा महाराजा दशरथ, श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न सब कुशल से तो हैं. इतना सुन कर मंथरा के हृदय की पीड़ा और भी बढ़ गई.

मंथरा ने कैकेयी से कहा, तुम्हें तो अपने बेटे की कोई चिंता नहीं
कैकेयी के झकझोरने पर मंथरा नागिन की तरह फुफकारते हुए बोली, न तो मुझे किसी ने सजा दी है और न ही मैं किसी के बूते बढ़ चढ़ कर बोलूंगी. पूरी अयोध्या नगरी में राम के अलावा और किसकी कुशल है जिन्हें महाराज युवराज का पद दे रहे हैं. मंथरा ने रानी से कहा कि तुम खुद ही नगर में जाकर देख लो मुझे तो यह सब देख कर बहुत ही पीड़ा हुई है. उसने महारानी से कहा कि तुम्हारा बेटो तो परदेस में है और तुम्हें उसकी कोई चिंता नहीं है. तुम्हें तो पलंग पर पड़े पड़े सोना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन तुम्हें राजा की कपट भरी चतुराई नहीं दिखाई पड़ती है.
मंथरा की बातें सुन कैकेयी ने जमकर लगाई फटकार
मंथरा के मुख से इस तरह के वचन सुन कर महारानी बहुत नाराज हुईं और उन्होंने मंथरा की फटकार लगाते हुए कहा, बस अब चुप हो जाओ, घर फोड़ने चली है, यदि कभी दोबारा इस तरह के शब्द मुंह से निकाले तो तेरी जबान ही खिंचवा लूंगी.
सूर्यवंश में बड़ा भाई स्वामी और छोटा उसका सेवक होता है
फिर महारानी कैकेयी ने मंथरा को सखी के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि हे प्रिय वचन बोलने वाली मंथरा, मैंने तो तुझे समझाने के लिए ऐसा कहा है, मैं तो सपने में भी तुझ पर क्रोध नहीं कर सकती हूं. वह दिन बहुत ही शुभ और मंगलदायक होगा जिस दिन श्री राम का राजतिलक होगा. बड़ा भाई स्वामी और छोटा भाई सेवक ही होता है, यही सूर्यवंश की रीति है. राम को सभी माताएं कौशल्या के समान ही प्यारी लगती हैं, ऐसा मैंने परीक्षा करके भी देख लिया है. राम तो मुझे प्राणों से भी प्रिय हैं फिर तुझे उनके राजतिलक से क्षोभ कैसा. उन्होंने भरत जी की सौगंध दिलाते हुए कहा कि छल कपट छोड़ कर सच-सच बताओ कि तुम हर्ष के समय विषाद क्यों कर रही हो.
कैकेयी के पूछने पर मंथरा ने खोल दिया अपना मुख
महारानी कैकेयी के बार-बार कहने पर मंथरा ने अपना मुख खोल कर कहा, मै तो वही बात कह रही हूं जो आपके हित में है किंतु आपको अपना हित नहीं दिख रहा है. आपको तो वही अच्छा लगता है जो झूठी सच्ची बातें बना कर आपको खुश करे. मेरी सच्ची बात आपको कहां अच्छी लगेगी अब तो मैं भी आपको खुश करने वाली भाषा ही बोला करूंगी अन्यथा चुप रहा करूंगी.


Next Story