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इस दिन से शुरू हो रहा मंगलकारी गुरु पुष्प योग, जानें महत्त्व
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | हिंदू धर्म में कई शुभ नक्षत्र एवं योग के बारे में वर्णन किया गया है. कुल 27 नक्षत्रों में पुष्प नक्षत्र को सबसे विशेष फल देने वाला एवं मंगलकारी माना जाता है. गुरु पुष्य योग को नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है. 25 फरवरी 2021 से गुरु पुष्य योग प्रारंभ हो रहा है. पुराणों के अनुसार, गुरु पुष्य योग में कोई भी व्यक्ति भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना करता है तो उसकी काया निरोगी हो जाती है. ज्योतिष में कहा गया है कि खरीदारी पूजा-पाठ के लिए गुरु पुष्य योग बेहद शुभ माना जाता है. 25 फरवरी को गुरु पुष्य योग में चन्द्रमा दिन-रात कर्क राशि पर सूर्य कुंभ राशि पर रहेगा. भगवान विष्णु को समर्पित गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र योग होने से उसका महत्व बढ़ जाता है. पुराणों में कहा गया है कि गुरु पुष्य योग में नई वस्तु ,जमीन, गाड़ी, स्वर्ण आभूषण आदि खरीदना शुभ होता है. इस दिन व्यापार में बढ़ोतरी के लिए मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
गुरु पुष्य योग के शुभ मुहूर्त
अमृत सिद्धि योग : 25 फ़रवरी सुबह 06:55 बजे - 25 फ़रवरी 01:17 बजे रात्रि तक.
सर्वार्थ सिद्धि योग : 25 फ़रवरी सुबह 06:55 बजे - 25 फ़रवरी रात्रि 01:17 बजे तक.
गुरु पुष्य योग : 25 फ़रवरी सुबह 06:55 बजे - 25 फ़रवरी रात्रि 01 बजे तक.
गुरु पुष्य योग का महत्व
जानकार बताते हैं कि आकाश मंडल में कुल 27 नक्षत्र होते हैं गुरु पुष्य नक्षत्र इनमें सबसे शुभ माना जाता है. तिष्य अमरेज्य के नाम से भी इस नक्षत्र को जाना जाता है. तिष्य का मतलब शुभ मांगलिक वाला नक्षत्र अमरेज्य यानी देवताओं के द्वारा पूजा जाना वाला नक्षत्र. शनिदेव इस नक्षत्र के स्वामी ग्रहों के रूप में मान्य हैं. इस नक्षत्र को इतना शुभ माना जाता है कि इसमें शादी-विवाह को छोड़कर अन्य कोई भी काम बिना पंचांग देखे किया जा सकता है. गुरु पुष्य योग में सभी अशुभ योगों को दूर करने की क्षमता होती है.
नया काम करने के लिए शुभ होता है गुरु पुष्य योग
कहा जाता है कि अपने दैनिक जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए गुरु पुष्य योग में कोई भी नया कार्य कर सकते हैं. जैसे - नौकरी, व्यापार या परिवार से जुड़े कार्य, बंद हो चुके कार्य भी इस योग में शुरू करने से सफलता की गारंटी मानी जाती है. गुरु पुष्य योग बहुत कम बनता है. यह भी माना जाता है कि गुरुवार को यह योग बनने से इसे गुरु पुष्य योग कहा जाता है.
जानकार सलाह देते हैं कि इस योग में महालक्ष्मी का पूजन बहुत ही महत्वपूर्ण लाभप्रद होता है. मां महालक्ष्मी का आह्वान कर उनकी कृपा दृष्टि से समृद्धि शांति प्राप्त की जा सकती है. गुरु पुष्य योग के लिए यह भी कहा जाता है कि किसी उद्देश्य मे सिद्धि के लिए अपने इष्ट भगवान की पूजा-अर्चना करें.