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धर्म-अध्यात्म
Mangala Gauri Vrat से मिलेगा मनचाहा वर, ऐसे करें शिव पार्वती को प्रसन्न
Tara Tandi
6 Aug 2024 6:00 AM GMT
![Mangala Gauri Vrat से मिलेगा मनचाहा वर, ऐसे करें शिव पार्वती को प्रसन्न Mangala Gauri Vrat से मिलेगा मनचाहा वर, ऐसे करें शिव पार्वती को प्रसन्न](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/08/06/3927942-2.webp)
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Mangala Gauri Vrat ज्योतिष न्यूज़: हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानी 6 अगस्त को सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत किया जा रहा है जो कि शिव पार्वती की पूजा अर्चना को समर्पित होता है इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से व्रत पूजा करती है तो वही कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर व शीघ्र विवाह की इच्छा से व्रत पूजा करती है अगर आज पूजा के दौरान जानकी कृत पार्वती स्तोत्र का पाठ किया जाए तो मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।
।।जानकी कृत पार्वती स्तोत्र।।
''जानकी उवाच''
शक्तिस्वरूपे सर्वेषां सर्वाधारे गुणाश्रये।
सदा शंकरयुक्ते च पतिं देहि नमोsस्तु ते।।
सृष्टिस्थित्यन्त रूपेण सृष्टिस्थित्यन्त रूपिणी।
सृष्टिस्थियन्त बीजानां बीजरूपे नमोsस्तु ते।।
हे गौरि पतिमर्मज्ञे पतिव्रतपरायणे।
पतिव्रते पतिरते पतिं देहि नमोsस्तु ते।।
सर्वमंगल मंगल्ये सर्वमंगल संयुते।
सर्वमंगल बीजे च नमस्ते सर्वमंगले।।
सर्वप्रिये सर्वबीजे सर्व अशुभ विनाशिनी।
सर्वेशे सर्वजनके नमस्ते शंकरप्रिये।।
परमात्मस्वरूपे च नित्यरूपे सनातनि।
साकारे च निराकारे सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।
क्षुत् तृष्णेच्छा दया श्रद्धा निद्रा तन्द्रा स्मृति: क्षमा।
एतास्तव कला: सर्वा: नारायणि नमोsस्तु ते।।
लज्जा मेधा तुष्टि पुष्टि शान्ति संपत्ति वृद्धय:।
एतास्त्व कला: सर्वा: सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।
दृष्टादृष्ट स्वरूपे च तयोर्बीज फलप्रदे ।
सर्वानिर्वचनीये च महामाये नमोsस्तु ते।।
शिवे शंकर सौभाग्ययुक्ते सौभाग्यदायिनि।
हरिं कान्तं च सौभाग्यं देहि देवी नमोsस्तु ते।।
फलश्रुति
स्तोत्रणानेन या: स्तुत्वा समाप्ति दिवसे शिवाम्।
नमन्ति परया भक्त्या ता लभन्ति हरिं पतिम्।।
इह कान्तसुखं भुक्त्वा पतिं प्राप्य परात्परम्।
दिव्यं स्यन्दनमारुह्य यान्त्यन्ते कृष्णसंनिधिम्।।
।।श्री ब्रह्मवैवर्त पुराणे जानकीकृतं पार्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
गौरी मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः।।
ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्।।
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्।।
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्।।
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्।
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