धर्म-अध्यात्म

सावन माह के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है मंगला गौरी व्रत

Ritisha Jaiswal
18 July 2022 10:07 AM GMT
सावन माह के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है मंगला गौरी व्रत
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सावन माह (Sawan Month) के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) रखा जाता है.

सावन माह (Sawan Month) के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) रखा जाता है. इस साल का पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई को है. इस दिन माता पार्वती की पूजा विधि विधान से करते हैं और मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ करते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, मंगला गौरी व्रत को सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन की कामना से रखती हैं. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से उस महिला का परिवार और संतान सुखी जीवन व्यतीत करते हैं. आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत की कथा.

मंगला गौरी व्रत कथा
पौराणिक क​था के अनुसार, एक नगर में धर्मपाल नाम का धनी व्यापारी रहता था. उसके पास काफी संपत्ति थी. उसकी पत्नी सुंदर थी, लेकिन संतान न होने के कारण दोनों दुखी रहते थे. काफी समय बाद ईश्वर के आशीर्वाद से उनको एक पुत्र हुआ, लेकिन वह अल्पायु था. उसकी आयु 16 वर्ष ही थी. उसे श्राप था कि 16 साल की उम्र में सांप के काटने से मृत्यु होगी.
संयोगवश उस बालका का विवाह 16 वर्ष की आयु से पूर्व ही हो गया. जिस कन्या से उसका विवाह हुआ, उसकी मां प्रत्येक वर्ष सावन में मंगला गौरी व्रत करती थी. मंगला गौरी व्रत के प्रभाव से उसने अपनी बेटी के लिए सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था, इस वजह से उसकी पुत्री को विधवा होने का योग नहीं था.
मंगला गौरी व्रत के पुण्य प्रभाव से धर्मपाल के पुत्र को 100 वर्ष की आयु प्राप्त हुई. वे दोनों सुखीपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करने लगे. इस वजह से सभी सुहागन महिलाएं मंगला गौरी व्रत रखती हैं, ताकि उन्हें भी अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हो.
जो भी महिलाएं मंगला गौरी व्रत रखती हैं, वे इसके सभी नियमों का पालन करती हैं ताकि उनका दांपत्य जीवन खुशहाल और लंबी अवधि वाला हो. इस व्रत की पूजा में 16 बत्ती वाले दीपक का उपयोग मां गौरी की आरती के लिए करते हैं. यह व्रत कम से कम 5 साल तक किया जाता है.
जो महिलाएं स्वास्थ्य कारणों से मंगला गौरी व्रत नहीं रह पाती हैं, वे मंगला गौरी व्रत के दिन माता पार्वती की पूजा करती हैं और मंगला गौरी व्रत कथा सुनती हैं. इससे भी उन्हें व्रत का पुण्य प्राप्त होता है.


Ritisha Jaiswal

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