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मंदोदरी ने रोका था रावण को, त्रिजटा ने सभी राक्षसियों को सुनाया अपना सपना

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Ramayan Story of Sita ji insulted Ravana: हनुमान जी लंका की अशोक वाटिका में बैठी सीता माता की दशा देख कर बहुत दुखी हुए. वह विचार कर रहे थे कि किस तरह सीता माता को अपना परिचय देकर उन्हें दुख से बाहर लाने का काम करें तभी रावण अपनी दासियों और रानियों के साथ वहां पहुंचा और तरह-तरह से लालच दिया कि सीता माता उनकी बात मान लें. उसने ये भी कहा कि वह सीता जी को महारानी का दर्जा देगा. लेकिन जब सीता माता ने रावण को धिक्कारते हुए कहा कि श्री राम तो सूर्य के समान हैं और वह जुगनू तो रावण ने गुस्से में तलवार निकाल ली और सीता जी की ओर दौड़ा. इस पर सीता माता ने अपनी प्रतिज्ञा करते हुए कहा कि यह उनका प्रण है कि उनके गले में या तो श्याम कमल के समान सुंदर और हाथी की सूड़ के समान विशाल और मजबूत पकड़ वाली श्री राम की भुजा पड़ेगी या फिर तेरी भयानक तलवार.